कल्पना सपना से अबोध नहीं थी। कल्पना ने सपना को अपनी बातों की खनक से हमेशा धीर के सामने रखा। हालांकि वह दोनों के साथ नहीं होती थी लेकिन वह दोनों से कभी दूर भी नहीं थी। सपना धीरज का अर्धांग है और अर्धांग सांस, आस, विश्वास, से जुड़ा होता है। यह सच भी कभी झूठ नहीं हो सकता। लेकिन औरत भाषा और भाव में पु
कल्पना को आज भी वह शब्द याद है। "साथी" सच इस शब्द के इर्द गिर्द उसने अपनी जिंदगी को बुनना शुरू कर दिया था। जिंदगी है क्या कभी जाना ही नहीं था। रात के अंधेरे में धीरज का मेसेज का स्करीन पर टू टू की आवाज के साथ आना। आज भी कल्पना की धडकनों में रमा है। शाम 8 बजे के बाद जब भी मेसेज की ट्यूनिंग आती। उसे व
लीलाधारी प्रभुकृष्ण जन्माष्टमी के परम पावन पुनीत अवसर पर आप सभी महानुभावों को हार्दिक बधाई!“कजरी का धीरज” (लघुकथा)कजरी की शादी बड़ीधूम-धाम से हुई पर कुछ आपसी अनिच्छ्नीय विवादों में रिश्तों का तनाव इतना बढ़ा किउसके ससुराल वालों ने आवागमन के सारे संबंध ही तोड़ लिए और कजरी अपनी ससुराल कीचाहरदीवारों में सि