"कजरी गीत"मोहन गोकुल नगर सुधारी, मधुवन कीन्ह सुखारी नाजाकर मथुरा डगर निहारी, सुखी कीन्ह महतारी ना......मोहन गोकुल नगर....धारी गोवर्धन गिरधारी, आओ न फिर यमुन कछारी नागाय ग्वाल गोपिन दुख हर्ता, पनघट की सखियाँ न्यारी..... मोहन गोकुल नगर ......रास आस तुमसे बनवारी, गौतम तो रहा अनारी नासावन झूला डाल-डाल प
लीलाधारी प्रभुकृष्ण जन्माष्टमी के परम पावन पुनीत अवसर पर आप सभी महानुभावों को हार्दिक बधाई!“कजरी का धीरज” (लघुकथा)कजरी की शादी बड़ीधूम-धाम से हुई पर कुछ आपसी अनिच्छ्नीय विवादों में रिश्तों का तनाव इतना बढ़ा किउसके ससुराल वालों ने आवागमन के सारे संबंध ही तोड़ लिए और कजरी अपनी ससुराल कीचाहरदीवारों में सि