रविदास
.'कहि रविदास सबै जग लूट्या। हम तो एक राम कहि छूट्या।।'.रैदास कह रहे हैं---धोका-धड़ी ने, माया ने, मृत्यु ने सारे जगत को लूटा है। पर हम पर तो राम की कृपा हो गयी है। 'हम तो एक राम कहि छूट्या!' हम तो राम-स्मरण से छूट सके। नहीं तो यहाँ सिर्फ लुटना ही होता है। हाथ कुछ लगता नहीं। यह तो बस हमारे ऊपर है, कुछ