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फ्रेंडशिप डे

hindi articles, stories and books related to Frendship de


एक पतंग की तरह उड़ना सीखो, जो उड़ती तो आजाद है, लेकिन संस्कारों की डोरी साथ लेकर।

कितना "बेईमान" है ये" दिल..."धड़क रहा "मेरे लिए           "तड़प रहा तेरे" लिए...-दिनेश कुमार कीर

मेरी आंखों में यही हद से ज्यादा बेशुमार हैतेरा ही इश्क़ तेरा ही दर्द तेरा ही इंतजार है

इतना कमजोर हो गए हम तेरी जुदाई से... एक दिन मच्छर उठा के ले गया चारपाई से... 

“अगली बार मिलो तो हाथ मत मिलाना,तुम थाम नहीं पाओगे और हम छोड़ नहीं पाएंगे।”

धोखा दे जाती है अक्सर मासूम चेहरे की चमक...हर चमकते काँच के टुकड़े को हीरा नहीं कहते...!

प्यार हो या परिंदा,दोनों को आज़ाद छोड़ दो,अगर लौट आया तो तुम्हारा,और अगर न लौटा तो वह तुम्हारा था ही नहीं कभी

सच्ची मोहब्बत की हसरत किसे नहीं होती   मगर हर किसी की किस्मत ऐसी नहीं होती      कोई एक होता है जो समा जाता है दिल में           हर किसी से तो&nbs

रात मे जुगनू की झगमगाहट,आसमाँ मे तारों की झिलमिलाहट,ठंडी वादियों में हवाओं की सरसराहट,इन सबसे भी खूबसूरत हैआपके चेहरे की मुस्कुराहट...-दिनेश कुमार कीर

"आधा ख्वाब आधा इश्क अधूरी सी बंदगी", "मेरी हो पर मेरी नहीं कैसी है ये जिंदगी"!

सिर झुका कर उसकी हर बातें सुनी जाती है,पसंदीदा स्त्री से बहस नहीं की जाती है...-दिनेश कुमार कीर

गुजरती जिन्दगी के सारे लम्हेखूबसूरत ना हो सके तो क्या हुआ... कुछ यादगार लम्हों को हीजिन्दगी की सफलता समझो...-दिनेश कुमार कीर

किसी ने पूछा चाय से इतना इश्क क्यों,मैंने कहा आधा दर्द तो वो ही चुरा लेती है।-दिनेश कुमार कीर

नशीली आंखो से वो जब हमें देखते हैं,           हम घबरा के अपनी ऑंखें झुका लेते हैं, कैसे मिलाए हम उन आँखों से आँखें,           सुना है व

वो कौन था जो दिन के उजाले में खो गया, ये चांद किस को ढूंढने निकला है शाम से...!-दिनेश कुमार कीर

मंजिल की तलाश में चले कितने हैं पैर ये कांटों से छिले कितने हैं  कामयाबी के इस शोर के पीछेजीत हार के सिलसिले कितने हैं-दिनेश कुमार कीर

ख्वाब सिमटे जो मुट्ठी में छूट ही जाएंगे एक दिन बनकर बैठे जो अपने रूठ ही जाएंगे एक दिनमोहब्बत ख्वाब सी उसकी वादे कांच से नाज़ुक हिफाजत कितनी भी कर लूं टूट ही जाएंगे एक दिन

❛❛गजब की सादगी है उनकी आंखों की,हमसे नजरें चुराकर हमें ही देखती है।❜❜-दिनेश कुमार कीर

झील सी आँखों का ख्वाब बता दो, इन गुलाबी होठों का राज बता दो। आखों में तो इश्क नजर आता ही है, इन शरारती मुस्कानों का भी राज बता दो।।-दिनेश कुमार कीर

किसी को तो पसंद आएंगे हम भीकोई तो होगा जिसे दिखावा नहीं, सादगी पसंद हो-दिनेश कुमार कीर

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