प्रेम घर जाकर बाइक आंगन में खड़ी कर रहा होता है कि प्रेम की मां, जो प्रेम का इंतजार कर रही थी, उसे आता देख बाहर आ जाती है और पूछती है, "आज तुम देर से घर आ रहे हो, काम ज्यादा था क्या?"प्रेम: "हां मां।"
सागर के पापा गुस्से में: सागर तुम यहाँ क्या कर रहे हो?सागर: पापा, वो लंच कर रहा हूँ।प्रेम: वो मैंने ही जोर दिया था।सागर के पापा: प्रेम, तुमसे बात पूछी मैंने, और सागर, तुम्हें पता है मुझे ये सब पसंद नह
अगली सुबह हुई, सोमवार का दिन था। प्रेम समय से ऑफिस पहुंच गया। मिली भी ऑफिस पहुंच गई थी। प्रेम ने मिली को देखा और उसके पास जाकर बोला: "गुड मॉर्निंग मिली।"मिली: "वैरी गुड मॉर्निंग प्रेम।"प्रेम: "कैसी हो
अगली सुबह होती है। प्रेम और सागर गहरी नींद में सो रहे थे। थोड़ी देर बाद प्रेम की आंख खुलती है। प्रेम सागर को अपने बगल में सोता हुआ देखता है। प्रेम लेटे हुए ही सागर को देखता रहता है और सोचता है कि सागर
प्रेम की मां बाहर आकर देखती हैं कि प्रेम के साथ कोई आया है। प्रेम की मां प्रेम से पूछती हैं: "ये तुम्हारे सागर सर हैं क्या?" प्रेम: "हाँ, वही हैं।" सागर: "आंटी जी, नमस्ते और हाँ! आपको आपके जन्मदि
सागर ने मुस्कुराते हुए कहा : "क्या हुआ? अब चुप क्यों हो गए? बताओ कौन अंधा है? लेकिन पहले तुम कार में जल्दी बैठो, नहीं तो और भीग जाओगे।"प्रेम: नहीं सर आप जाओ मैं चला जाऊंगा। सागर : लगता है त
प्रेम की मां : प्रेम जल्दी उठ जा ऑफिस को लेट हो जाएगा और वैसे भी आज ऑफिस का पहला दिन है उठ जा बेटा ।प्रेम: बस मां दो मिनट और सोने दो अभी आठ भी नहीं बजे मां। प्रेम की मां: तू आठ बोल रहा है सही से
किस्सा है अमरावती का जो की अभी 72-73 वर्ष की है, पर यह किस्सा 2-3 साल पुराना है | किस्सा शुरू करने के पहले अमरावती छोटा सा परिचय जरूरी है | अमरावती के पति राम अमोल पाठक जी एक पब्लिकेशन हाउस के सम्पादक
किस्सा है अमरावती का, किस्सा कोई बरसों पुराना नहीं बल्कि हाल-फ़िलहाल का है | अमरावती जो 72-73 वर्ष की हैं | अमरावती के पति राम अमोल पाठक जी प्रकाश पब्लिकेशन में एडिटर थे, बड़े ही सज्जन और ईमानदार व्यक्त
[मैंने परम श्रद्धेय स्वर्गीय श्री हरिशंकर परसाईं के जन्म शती वर्ष में उनको श्रद्धांजलि स्वरुप उनकी कहानी भोलाराम का जीव पर ये नाटक लिखा है] (एक व्यक्ति मेज पर रखी डायरी पर कुछ लिख रहा है) सूत्रधा
"म्याऊँ... म्याऊँ.... बिल्लो रानी कहो तो अभी जान दे दूं...."- डब्बू बिल्ला पूसी बिल्ली को मनाने के लिए यह गीत गा रहा था, लेकिन पूसी पर गीत का कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा था...
उसका चेहरा श्यामवर्ण है, लेकिन जब वह आती है; तो उसे लगता है कि वह गौरवर्ण हुआ जा रहा है। उसकी आंखें छोटे आकार की हैं, लेकिन जब वह आती है; तो उसे लगता है कि उसकी आंखें बड़ी ह
निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्
वियोग श्रृंगार की मार्मिक प्रेमकथा....
फिर वही सपना bath tub से बहता हुआ पानी और कोई मदद के लिए चीख रहा हो, जैसे कोई डूब रहा हो मेरा अपना और जैसे ही वो बचाने जाती है bath tub को देखकर जोर से चिल्लाती है और हमेशा की तरह ईशानी चौक कर उ
मैं vicky Sharma , आपके सामने एक क्राइम थ्रिलर स्टोरी पेश करता हु। आशा है कि आपको ये कहानी पसंद आए। धन्यवाद । मुंबई एक व्यस्त नगर है। इसी व्यस्तता के बीच तीन दोस्त अमर , आशीष और मोहन भी रहते थे। त
किस्सा कोई दो-तीन साल पुराना है, किस्सा है 72-73 वर्ष की अमरावती का | अमरावती के पति राम अमोल पाठक जी नहीं रहे, उनको गुजरे कोई 7-8 साल हो चुके हैं | दुनिया अमरावती को सहानुभूति की नजर से देखती है
कर गई चाक तिमिर का सीना जोत की फाँक यह तुम थीं सिकुड़ गई रग-रग झुलस गया अंग-अंग बनाकर ठूँठ छोड़ गया पतझार उलंग असगुन-सा खड़ा रहा कचनार अचानक उमगी डालों की सन्धि में छरहरी टहनी पोर-पोर में
कर गई चाक तिमिर का सीना जोत की फाँक यह तुम थीं सिकुड़ गई रग-रग झुलस गया अंग-अंग बनाकर ठूँठ छोड़ गया पतझार उलंग असगुन-सा खड़ा रहा कचनार अचानक उमगी डालों की सन्धि में छरहरी टहनी पोर-पोर में
नए गगन में नया सूर्य जो चमक रहा है यह विशाल भूखंड आज जो दमक रहा है मेरी भी आभा है इसमें भीनी-भीनी खुशबूवाले रंग-बिरंगे यह जो इतने फूल खिले हैं कल इनको मेरे प्राणों ने नहलाया था कल इनको मेरे स