वो पुराने दिन, वो सुहाने दिन जब टीवी घर आया, तो लोग किताबें पढ़ना भूल गए । जब कार दरवाजे पर आई, तो चलना भूल गए । हाथ में मोबाइल आते ही चिट्ठी लिखना भूल गए । जब घर में ac आया, तो ठंडी हवा के लिए पे
नशीली आंखो से वो जब हमें देखते हैं, हम घबरा के अपनी ऑंखें झुका लेते हैं, कैसे मिलाए हम उन आँखों से आँखें, सुना है व
माँ का आँचलएक छोटे से गाँव में लीला नाम की एक महिला अपने तीन बच्चों के साथ मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पालन - पोषण कर रही थी। साथ ही अपने बच्चों को गाँव के स्कूल में पढ़ने को भेजती थी। उसके बच्चे
(निकु और नीशू दो दोस्त की दोस्ती) (नीकु और नीशू दोनों दोस्त आपस में वार्तालाप कर रहे हैं)निकु - ये बताओ नीशू दोस्त! आज कई दिनों के बाद हम दोनों दोस्त विद्यालय जा रहे हैं। क्या तुमने गृहकार्
एक लड़की मेरे इतने करीब आकर चली गयी, जैसे कि मुझको मुझसे ही चुराकर चली गयी, उसके बिना मैं खुद को अधूरा - सा समझता हूं, पतंग संग डोरी का रिश्ता निभाकर चली गयी, कुछ अपने थे खिलाफ तब
अब तक आपने पढ़ाशशांक को एक बार के लिए कुछ समझ नहीं आया कि ये क्या कर रहे है 🙁 , अचानक से वो लोग आकर उठा लिए थे उसे 😄 । फिर उसे याद आया कि लोग दुल्हे को ऐसे उठा कर ले जाते है .....😄😄 अब
अब तक आपने पढ़ा संध्या जी मुस्कुराते हुए बोली — हाँ बेटा जी वो अब ठीक है .... और मै कल से आऊंगी । आप को मेरे बीना परेशानी हुई इसके लिए माफ करना बेटा जी 🙂 और फोन करने के लिए आपका बहु
अब तक आपने पढ़ा दो तीन बार वो वैसे ही किया मगर वो ठीक नहीं हुआ , बल्की और भी ज्यादा दर्द करने लगा । अनुभव अपने गर्दन को टेढ़ा किये हुए अपने रूम चला गया फ्रेश होने । अब आगेअनुभव अपने रूम मे ज
छत्तीसगढ़ की वीरांगना बिलासा केवट जिनके नाम पर बसा है बिलासपुर शहर…छत्तीसगढ़ में बिलासा एक देवी के रुप में देखी जाती हैं । कहते हैं कि उनके ही नाम पर बिलासपुर शहर का नामकरण हुआ। बिलासा केवट की एक आदमक़
सिकंदर को हराने वाली कठगणराज्य की राजकुमारी कार्विका के बारे में जानिये सच।राजकुमारी कार्विका सिंधु नदी के उत्तर में कठगणराज्य की राज्य की राजकुमारी थी । राजकुमारी कार्विका बहुत ही कुशल योद्धा थी। रणन
शरत-हमारी सगाई पक्की हो गई थी। हमारे घर खुशियों के रंगों से सराबोर हो गया था।रिश्ते करने वाले लोगों के चले जाने के बाद भी हमारे कुटुम्ब, परिवार और गांव के लोग बैठकर आपस में बातें कर रहे थे
शरत और सोनू दोनों ही अपनी बाल्यावस्था की जिंदगी जी रहे थे।शरत- इस समय हमारी पढ़ाई करने का समय था और पढ़ाई के साथ-साथ खेल कूद और मौज मस्ती करने का समय था।लेकिन जिस समाज में हम रहते हैं वह समाज हमारे वि
अब तक आपने पढ़ा— ओ ... हेलो ... दुल्हा ये है तुम लोग नहीं ... भैया इसे ( शशांक के तरफ इशारा करके बोला ) रेडी होने को बोल कर गए है । तुम लोग क्यों इतना उड़ रहे हो । अब आग
अब तक आपने पढ़ा डैड का कॉल आया था । उन्हें कल कहीं जाना है किसी काम से , तो वो कल शाम तक घर आयेंगे । ये सब कहते वक्त वो मानवी को बिल्कुल भी नहीं देख रहा था । अब आगे
अब तक आपने पढ़ावो सोच रही थी कि ये बेचारा कितना डर रहा है अपनी मॉम से 😄 , मैं तो डरती ही नहीं हूँ और कोई अपनी माँ से इतना भी डरता है क्या ? 😄😄 अब आगेजब प्रतिक्षा देखी की सब लोग खा चुके है तो
अब तक आपने पढ़ावो अपने सोच कि दुनियां से बाहर आया और फिर फ्रेश होने चला गया । थोड़ी देर में वो अच्छे से तैयार होकर नीचे आया ।अब आगे प्रशांत को नीचे आते देख कर उसकी मॉम उसके ड
*कंगना* हाल ही में अर्जुन से शादी करके आई कंगना अपने ससुराल में अपनी सासूंमां सुशीला जी के साथ बडी खुश थी, कारण दोनों ही एक - दूसरे को सम्मान और प्यार करती थी, कंगना और सुशीला जी के बीच इतना अच्छा ता
माँशाम के साढे़ छह..... पौने सात बजे का समय रहा होगा। एक अनीश नाम का लड़का, दुकान पर आता है, गांव का रहने वाला था, वह चतुर व चालाक था।उसका बातें करने का तरीका गांव वालों की तरह का था, परन्तु बहुत ठहरा
मध्यप्रदेश के रायसेन किले से जुड़े संघर्ष में 701 राजपूतानियों के जौहर को आज 490 साल पूरे हो गए हैं। मुगलों के आक्रमण के दौर में जौहर की इस कहानी के बारे में कम लोग ही जानते हैं।छह मई 1532 को रानी दुर
माँ : जिसके बिना हमारा अस्तित्व नहींमाँ एक मिश्री घुला शब्द है जिसकी व्याख्या नहीं हो सकती । वह एक ऐसी शख्सियत है जो हर कीमत पर संतान का साथ देती है। स्नेह और देखभाल का इससे बड़ा दूसरा उदाहरण देखने मे