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अरुणिमा ने जल्द ही खुद को संभालते हुए पूरे परिवार का ध्यान रखना शुरू किया। उसने प्रभात की मां के लिए डॉक्टर से परामर्श लिया, ताकि उनका स्वास्थ्य ठीक रहे। वह रोज सुबह उनके पास बैठकर उनसे बातें करती, उन

प्रभात के पार्थिव शरीर को सफेद चादर में लपेटा गया था, और हर किसी की आँखों में आँसुओं का सैलाब था। अरुणिमा, जो अब भी शादी के जोड़े में थी, उसे देखते हुए एक बुत बन गई थी। उसके हाथ कांप रहे थे, और वह चुप

अस्पताल का कॉरिडोर सन्नाटे में डूबा हुआ था। ऑपरेशन थिएटर के बाहर परिवार के लोग बैठे थे, हर किसी की आँखों में एक उम्मीद थी कि डॉक्टर आकर कहेगा, "प्रभात अब खतरे से बाहर है।" लेकिन जैसे ही ऑपरेशन थिएटर क

सुबह के हल्के उजाले में, जब कार एक सुनसान सड़क पर दौड़ रही थी, चारों तरफ सन्नाटा और ठंडक थी। अनुज, जो पिछली सीट पर गहरी नींद में था, हल्के से करवट बदलता रहा। प्रभात ड्राइविंग सीट पर था, अपने चेहरे पर

सुबह के पाँच बजे का समय। आसमान में तारे अब भी चमक रहे थे, और हल्की ठंडक ने वातावरण को और भावुक बना दिया था। अरुणिमा की विदाई का समय आ चुका था। जैसे ही अरुणिमा अपनी माँ के पास आई, उसकी आँखों में आँसू भ

तभी घर के बड़े-बुजुर्गों ने आवाज लगाई, "बारात चलने का समय हो गया है। सब तैयार हो जाओ।" घर के आंगन में प्रभात के लिए घोड़ी तैयार खड़ी थी। सफेद और चमचमाती घोड़ी को रंग-बिरंगे कपड़ों और गहनों से सजाया गय

आखिरकार वो दिन आ ही गया जिस दिन शादी होनी थी ,सुबह का समय था। प्रभात अपने कमरे में बिस्तर पर बैठा बार-बार घड़ी की ओर देख रहा था। शादी के उत्साह और अरुणिमा से मिलने की बेसब्री ने उसे बेचैन कर दिया था।

संगीत और मेहंदी का दिन अरुणिमा के घर पर बेहद खास और रंगीन अंदाज में मनाया गया। घर के हर कोने को झिलमिलाती लाइटों, चमकदार रंगों और खुशबूदार फूलों से सजाया गया था। माहौल में खुशी की गूंज और हल्की-हल्की

शादी से ठीक तीन दिन पहले हल्दी की रस्म का आयोजन दोनों घरों में अलग-अलग किया गया। यह एक परंपरा थी कि शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन एक-दूसरे से नहीं मिल सकते।सुबह का समय था। "शर्मा निवास" पीले और सफेद गेंद

दोनों परिवारवालों ने आपसी सहमति से मिलकर ,शादी से एक सप्ताह पहले प्रभात ओर अरुणिमा की सगाई समारोह करने का निर्णय लिया । उसके बाद से ही दोनों परिवारों में उत्साह का माहौल था। समारोह के लिए शहर के बाहरी

Nov 23, 2023 1 Sadak ke kinara तारीख 23 नम्बर 2023 देहरादून, हे.....ये मैं हूं अर्जुन, एक लेखक, एक संगीत प्रेमी, या तुम मुझे सिर्फ अर्जुन भी कह सकते हो......... यह बात जून जुलाई क

देखते ही देखते शादी को बस अब एक हफ्ता ही बचा था, और दोनों परिवारों के घरों में उत्साह का माहौल था। शादी की तैयारियाँ जोरों पर थीं। शर्मा निवास में रिया ने सभी को एकजुट कर रखा था।"भाभी का लहंगा सबसे सु

कुछ दिनों के बाद, अरुणिमा के घर पर प्रभात और उसके परिवार वाले रिश्ता पक्का करने के लिए पहुंचे। यह दिन एक नई शुरुआत का प्रतीक था, लेकिन दोनों परिवारों के बीच एक हल्की सी नर्वसनेस भी थी। अरुणिमा के घर म

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कुछ ही दिनों बाद प्रभात और अरुणिमा के परिवारों की पहली औपचारिक मुलाकात का दिन तय हो गया था। यह मुलाकात प्रभात के घर पर रखी गई थी। अरुणिमा की माँ पहले ही अपनी बेटी को आश्वस्त कर चुकी थीं कि उनके लिए उस

रविवार का दिन था। सूरज की हल्की किरणें खिड़की से छनकर अंदर आ रही थीं। प्रभात सुबह जल्दी उठ गया था, लेकिन उसके चेहरे पर बेचैनी साफ नजर आ रही थी। चाय का कप लिए वह बालकनी में खड़ा था, उसकी नजरें कहीं दूर

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कुछ दिन बाद, प्रभात ने अरुणिमा को फोन करके वादे के अनुसार मुलाकात करने के लिए शनिवार की शाम को पार्क में मिलने के लिए बुलाया । हर बार की तरह, प्रभात एक-दूसरे से बिछड़ने के बाद भी एक खास एहसास के साथ

अरुणिमा और प्रभात के बीच मुलाकातों का सिलसिला बढ़ता गया और दोनो ने एक दूसरे के मोबाइल नंबर भी ले लिए थे। उसके बाद कभी वे कैफे में कॉफी पीते, कभी पार्क में लंबी बातें करते। दोनों के बीच की नजदीकियां धी

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रविवार को कॉफी शॉप के अंदर हलचल थी, लेकिन माहौल फिर भी एक तरह का सुकून दे रहा था। प्रभात पहले से वहां मौजूद था, एक कोने की मेज पर बैठा। उसने अपनी घड़ी की ओर देखा। शाम के 07:00 बज चुके थे, और अरुणिमा अ

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तीन महीने बाद की दिल्ली की चहल-पहल भरी शाम थी। एक कॉफी शॉप में भीड़भाड़ के बीच अरुणिमा अपनी कॉफी का इंतजार कर रही थी। उसने हल्की सी मुस्कान के साथ बाहर देखा, जहां कारों की लाइटें और शाम की हलचल उसकी स

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अगला साल आया, और मनाली की घाटी फिर से वही ठंडी हवाओं और गुलाबी आभा से भर गई थी। प्रभात और अरुणिमा दोनों ही अपने-अपने जीवन में कुछ बदलावों से गुजर चुके थे, लेकिन एक वादा, जो उन्होंने एक साल पहले किया थ

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