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दूषित कर दी गंगा

30 नवम्बर 2015

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मेरे देश की इन जालिमों ने

दूषित कर दी है गंगा।

देखकर सुन्दर नारी

ये बन जाते व्यभिचारी

भूल जाते हैं ये मर्यादा

जालिम बन जाते बलात्कारी

काम वासना में रहता इनका मन चंगा

मेरे देश की इन .....................1

ऐसे जालिमों को दूर भगा दो

सजा में इनको नपुंसक बना दो

इनका हक नहीं यहाँ रहने का

इनके सिर काट गन्दे नालों में बहा दो

अब भी समय है दोस्तो

इनसे लेलो बेझिझक पंगा

मेरे देश की इन ...................2

चाहे हो कोई अभिनेता

चाहे हो कोई राजनेता

हक नही उनको जिन्दा रहने का

जो बलात्कार के हैं प्रणेता

तुरंत सजा दो उनको

जिनके चरित्र में हो कोई शंका

मेरे देश की इन जालिमों ने

दूषित कर दी है गंगा।


दद

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रचनाएँ
sudhanshi
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मेरी अभिव्यक्ति मेरी अभिलाषा
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मेरे आंसुओं मुस्कराना सीख लो

29 नवम्बर 2015
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मेरे आंसुओं मुस्कराना सीख लोमेरे आंसुओं मुस्कराना सीख लो।चाहे हो खुशी के पलचाहे हो गम के बलतुम चूम ही जाते होजमी का वो गुलशनी तलक्यों न आने से पहलेतुम अपने को जीत लोमेरे आंसुओं मुस्कराना सीख लो।पल पल तुम मेरे पास रहते होजिन्दगी के हर मोड़ पर साथ देते होमन को रुलाने के लिएनिकल मेर

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दूषित कर दी गंगा

30 नवम्बर 2015
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मेरे देश की इन जालिमों नेदूषित कर दी है गंगा।देखकर सुन्दर नारीये बन जाते व्यभिचारीभूल जाते हैं ये मर्यादाजालिम बन जाते बलात्कारीकाम वासना में रहता इनका मन चंगामेरे देश की इन .....................1ऐसे जालिमों को दूर भगा दोसजा में इनको नपुंसक बना दोइनका हक नहीं यहाँ रहने काइनके सिर

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मेरे दिल का लेकर चैन

4 दिसम्बर 2015
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मेरे दिल का लेकर चैनजाने कहाँ वो चले गये।अपनी चाहत का खिलाके फूलप्रेम जाल का बनाके मूलअदाओं पर उसकीमेरा दिल जाता दुनिया भूलबस अब तो आंसू बहाते मेरे नैनमेरे दिल का लेकर चैनजाने कहाँ वो चले गये।उनकी अदाओं में मधु के प्याले थेओठों की सदाओं के अंदाज ही निराले थेउनके यौवन को देखकरहम

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