मेरे आंसुओं मुस्कराना सीख लो
मेरे आंसुओं मुस्कराना सीख लो।
चाहे हो खुशी के पल
चाहे हो गम के बल
तुम चूम ही जाते हो
जमी का वो गुलशनी तल
क्यों न आने से पहले
तुम अपने को जीत लो
मेरे आंसुओं मुस्कराना सीख लो।
पल पल तुम मेरे पास रहते हो
जिन्दगी के हर मोड़ पर साथ देते हो
मन को रुलाने के लिए
निकल मेरे नैनों से लेते हो
जिन्दगी हो अपनी अपनों के लिए
ऐसी भर मन मेरे में प्रीत दो
मेरे आंसुओं मुस्कराना सीख लो।
मानते हैं मान गये
जानते हैं जान गये
गमों की दुनिया में
भूल अपनी वो शान गये
अब तो चाहत यही है
सोनू की कलम में भर अनन्त प्रीत दो
मेरे आंसुओं मुस्कराना सीख लो।
मेम