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सुशील कुमार आर्य की डायरी

सुशील कुमार आर्य

2 अध्याय
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sushil kumar arya ki dir

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पुस्तक के भाग

1

गांव की गोरी

5 नवम्बर 2015
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6
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जब हो प्यार किसी गोरी सेबलखाती इठलाती गांव की गोरी से।देख वो अपने प्यार कोदिल में बसे दिलदार कोनयनों में छिपेवर्षों के इंतजार कोहोठों पर मुस्कान लाए वो चोरी सेजब हो प्यार किसी गोरी सेबलखाती इठलाती गांव की गोरी से।नखराली होती हैं उसकी अदायेंमतवाली होती हैं उसकी फिजायेंमगर बड़ी ही

2

मेरी जोगन

6 नवम्बर 2015
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चन्द्र वदन चंचल चितवन रूप सुहाना मेरी जोगन कानम्र ह्रदय तारे सी चमक चांदनी सा वदन मेरी जोगन का।हुस्न की मलिका है वो वहारों की रानीवफा की देवी है वो मेरी दीवानीइस मतलब फरोसी दुनिया में उसने समर्पित करअपने को मुझे बनी मेरी जिन्दगानीहुस्न परी है वो रस से भरी रसदानीमेरी दौलत शोहरत की

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