डायन ( एक अधूरी प्रेम कहानी….. ) डायन एक प्रकार का भूत ही होती है । पर …. एक जिंदा महिला को डायन बनने के लिए … डायन साधना करनी पड़ती है । यह साधना किस प्रकार से होती है, यह तो नहीं पता । पर …. हमारे समाज में और भी बहुत सी कहानियां इससे संबंधित प्रचलित हैं……..
खैर…..
शौर्य , आनंद विहार के बस अड्डे पर पहुंच जाता है। रात के 10:00 बज रहे थे । टिकट घर से एक टिकट वह नैनीताल के लिए ले लेता है । उसकी बस 11:00 बजे की थी । बस पहले से ही खड़ी थी। तो वह बस में चढ़कर खिड़की वाली सीट पर बैठ जाता है । कुछ देर इधर-उधर देखने के बाद … वह अपने बैग से एक डायरी निकलता है , और …. लिखने लगता है ।
यात्री धीरे-धीरे बस में आने लगते हैं । पर…. शौर्य को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता । वह अनजान सा बैठा …. लिखने में ही व्यस्त रहता है। 11 बजते ही बस भी चल देती है।
तभी शौर्य को एक प्यारी सी खुशबू महसूस होती है । और उसे ऐसा लगता है कि, कोई उसके बगल में आकर बड़े ही मासूमियत से बैठ जाता है । पर फिर भी .... शौर्य की निगाह …. उसकी डायरी पर ही टिकी रहती है । और उसका कलम सरपट दौड़ता रहता है । बस चल देती है ।
कुछ देर बाद…...
एक मधुर सी आवाज …. शौर्य के कान पर पड़ती है । लगता है ... आप लेखक हैं …. शौर्य के अंगुलियों का दबाव कलम पर से हट जाता है ।
शौर्य की नजर जैसे ही बगल की सीट पर पड़ी …… आंखों में उत्सुकता और सागर सी गहराई का मिश्रण…. …….नाक में पहने हुए सोने की रिंग की चमक …...उस गोरे से चेहरे को और भी बढ़ा रही थी …..होठों की सुंदरता का बखान करने के लिए ….पूरी कायनात के शब्द ही कम पड़ जाए। पहनावे से वह किसी संस्कारी घर की मालूम हो रही थी । ऐसा आकर्षक व्यक्तित्व शायद शौर्य ने पहली बार देखा था ।
फिर से उसने बड़े ही मासूमियत से पूछा ….. क्या आप लेखक हैं….
शौर्य : ( हड़बड़ाते हुए ) हम्मम... हां ...हां थोड़ा बहुत….
लड़की : थोड़ा-बहुत क्या होता है । या तो आप लेखक हैं , या फिर नहीं है।
शौर्य : नहीं …. मेरा कहने का मतलब यह था कि , ऐसे ही थोड़ा बहुत लिख लेता हूं ।
लड़की : माफ करिएगा ….. मैंने आपसे पूछे बिना ही …. जो आप लिख रहे थे…. मैं वह बराबर से पढ़ रही थी । आप लिखते जा रहे थे … और मैं पढ़ती जा रही थी।
मुझे माफ करिएगा …….
शौर्य : (थोड़ा शरमाते हुए) अरे... कोई बात नहीं…..
लड़की : वैसे आप जो कहानी लिख रहे थे …. वह काफी डरावनी लग रही थी । आप शायद डायन के बारे में कहानी लिख रहे थे।
शौर्य : हां बस …. ऐसे ही लिख रहा था । हालांकि… मैंने कभी भी डायन को देखा तो नहीं है ।
लड़की : ( हंसते हुए ) तो क्या …. देखने की इच्छा है क्या….
शौर्य : ( डरते हुए ) अरे नहीं …. मैंने ऐसा तो नहीं कहा ।
लड़की : वैसे माफ करिएगा …. मैंने आपका ध्यान भटका दिया । कुछ समय पहले तक आप लिख रहे थे । आप लिखिए …… अगर आपको ऐतराज ना हो तो…. मैं पढ़ती जाऊंगी । कहानी काफी अच्छी लग रही थी ….. इसलिए मैं कह रही हूं।
शौर्य : लिखने की कोशिश करने लगता है । पर … वह कुछ लिख नहीं पाता है ।
लड़की : क्या हुआ ……
शौर्य : पता नहीं क्या हुआ …. मेरी कलम जैसे मेरा साथ ही नहीं दे रही है ।
लड़की : ( हंसते हुए ) ऐसा क्या हो गया …..
शौर्य : शायद आज तक …. इतनी खूबसूरत लड़की से मैंने कभी भी बात नहीं की।
लड़की : (मुस्कुराते हुए ) अच्छा …….
शौर्य : इन निगाहों में गुम हो कर …. मैं शब्द ढूंढ रहा था। जो खुद ही खो गया हो …. वह कुछ क्या ढूंढ सकता है।
लड़की : अब इतनी भी तारीफ ना करो कि, मैं खुद भी कुछ लिखने लग जाऊं ।
शौर्य : हम तो ….. अपना बस हालात-ए-बयां ...कर रहे थे। वैसे …. आप मेरी बात का बुरा मत मानिएगा।
आगे की घटना को जानने के लिए पढ़िए....
अगला भाग..
क्रमशः
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