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रोहित कुमार "मधु" के बारे में

मेरा नाम रोहित कुमार 'मधु' (कुमार आदिब 'फिज़ा') है मैं एक विधार्थी हूं जिंदगी का, प्रेम का, मानो तो हम सभी विद्यार्थी है। लिखना कुछ नही दर्द को शब्दो में पिरोना है और अभी मैं कर रहा हूं, सिखा जिंदगी और इश्क रहा है।अंधकार ही प्रकाश की तलाश है ,अंधकार ही सृजन का आधार बस इसी अंधकार में उजाले की तलाश है जो मुझे नई दिशा दे रहा है भाव को प्रकट करने की, नाम को नया नाम देने की। बस परिचय इतना है मेरा जो मेरा है वो सब कुछ तेरा।

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2024-07-11
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-11-16

रोहित कुमार "मधु" की पुस्तकें

"फिज़ा" एक गज़ल

"फिज़ा" एक गज़ल

यह एक ग़ज़ल संग्रह है जिसमे में काफ़ी छोटी उम्र में मोहब्बत के मोहल्ले से गुजरते हुए शाइर ने कुछ कहने का प्रयास किया है, गजले है 11 - 12 कक्षा में मोहब्बत के आंगन में खिलती हुई नई कलियों की, तिलियो की, भॅंवरो की, जो की अब इस समय संसार में जीवन व्यापन

33 पाठक
51 रचनाएँ
2 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 53/-

"फिज़ा" एक गज़ल

"फिज़ा" एक गज़ल

यह एक ग़ज़ल संग्रह है जिसमे में काफ़ी छोटी उम्र में मोहब्बत के मोहल्ले से गुजरते हुए शाइर ने कुछ कहने का प्रयास किया है, गजले है 11 - 12 कक्षा में मोहब्बत के आंगन में खिलती हुई नई कलियों की, तिलियो की, भॅंवरो की, जो की अब इस समय संसार में जीवन व्यापन

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ओ खुदा एक कविता

ओ खुदा एक कविता

यह एक कविता संग्रह है जिसमे कवि ने खुदा से प्राथना की है ।उसके मन में जो प्रश्न चिन्ह है वह उनका उत्तर खुदा से चाहता है। इस कविता में कवि ने अपने व्यक्तिगत प्रेम को शामिल किया है जो की तार्किक व हकीकत का प्रेम है जो एक गहरा अर्थ रखता है व अन्य प्रश्न

5 पाठक
13 रचनाएँ

निःशुल्क

ओ खुदा एक कविता

ओ खुदा एक कविता

यह एक कविता संग्रह है जिसमे कवि ने खुदा से प्राथना की है ।उसके मन में जो प्रश्न चिन्ह है वह उनका उत्तर खुदा से चाहता है। इस कविता में कवि ने अपने व्यक्तिगत प्रेम को शामिल किया है जो की तार्किक व हकीकत का प्रेम है जो एक गहरा अर्थ रखता है व अन्य प्रश्न

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"मधु" एक गीत

"मधु" एक गीत

यह एक गीत संग्रह है प्रेम क्या है? इस प्रश्न का जाबाब कई प्रकार का है, एक वाक्य में कहना चाहे तो प्रेम की अनेक परिभाषाएं है प्रेम को प्रेम रूप में समझना कठिन है, जब होता है तो सिर्फ महसूस किया जा सकता है। बस यही से एक गीत संग्रह आपके लिए। आपको अवश्य

5 पाठक
8 रचनाएँ

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"मधु" एक गीत

"मधु" एक गीत

यह एक गीत संग्रह है प्रेम क्या है? इस प्रश्न का जाबाब कई प्रकार का है, एक वाक्य में कहना चाहे तो प्रेम की अनेक परिभाषाएं है प्रेम को प्रेम रूप में समझना कठिन है, जब होता है तो सिर्फ महसूस किया जा सकता है। बस यही से एक गीत संग्रह आपके लिए। आपको अवश्य

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दैनन्दिनी

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यहां आपको रोज नई नई शायरिया पढ़ने को मिलेंगी।

3 पाठक
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प्यार वाली मुक्तक

प्यार वाली मुक्तक

चलो इश्क करे

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प्यार वाली मुक्तक

प्यार वाली मुक्तक

चलो इश्क करे

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रोहित कुमार "मधु" के लेख

गाॅंव

10 जुलाई 2024
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<div><br></div><div>हमारी आरज़ू पीपल हमारे गाॅंव की </div><div>गुजरती थी वहीं दोपह र सारे गाॅंव की</div><div><br></div><div>वही पे बैठ कर के खेलती थीं लड़कियां </div><div>गुजरती रा

गज़ल 51,बरसातों के बादल अब दिल पर चूॅंयेगें

3 जुलाई 2024
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बरसातों के बादल अब दिल पर चूॅंयेगें तुम इन ऑंखों से अब गालों पर आओगी

ग़ज़ल 50, दिनों दिन दिल जलाना होता है

19 जून 2024
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ग़ज़ल कहना क्या आसां होता है दिनों दिन दिल जलाना होता है तिरी महफ़िल से उठके जाना है यहाॅं हर दिल निशाना होता है

गज़ल 49, मौत भी तुम्हारे जैसी है

17 जून 2024
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बीच से ही लौट जाती है मौत भी तुम्हारे जैसी है जब हमे जी भर के रोना है क्यूॅं ये लड़की गुदगुदाती है

ग़ज़ल 48, दिल की बातें न दिल में रखा कीजिए

11 जून 2024
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अपनी आखों से तो और क्या कीजिए अपनी आखों से दिल की दवा कीजिए दिल की बातें न दिल में रखा कीजिए इश्क़ है तो इसे भी बयां कीजिए

ग़ज़ल 47, एक बरसात सी लड़की

10 जून 2024
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वो मेरे साथ की लड़की एक बरसात सी लड़की अपनी जिद पे अड़ी लड़की धूप में है खड़ी लड़की

ग़ज़ल 46, उमर तो मोहब्बत की है ना

10 जून 2024
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ये तुमने इमारत की है ना कमाई शराफ़त की है ना खुदा अब बुला भी रहा है मोहब्बत इबारत की है ना

ग़ज़ल 45, कुछ न कहकर क्या कहा था तुमने

7 जून 2024
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कुछ न कहकर क्या कहा था तुमने "कुछ नही" इतना कहा था तुमने हम क्यों ना इश्क़ समझ के बैठें "कुछ तो समझो न" कहा था तुमने

ग़ज़ल 44, दिल, दर्द अब सारा निकाला जायेगा

2 जून 2024
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दिल, दर्द अब सारा निकाला जायेगा रस्ते में जो आएगा मारा जायेगा रातों को आखिर चैन कैसे आएगा दिन में भी जब वो चांद देखा जायेगा

ग़ज़ल 43, रास्ता दिल भटक गया शायद कुछ गले में अटक गया शायद

25 मई 2024
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रास्ता दिल भटक गया शायद कुछ गले में अटक गया शायद रात काली, ये रौशनी कैसी! सर से पल्लू सरक गया शायद

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