दिल्ली से पूर्वी उत्तर में स्थित जौनपुर की एक बार यात्रा करते हुए डॉ. कलाम बादशाहनगर नामक छोटे से शहर में चाय पीने के लिए रुके। अपने आसपास के नजारे देखकर उन्हें हैरानी हुई। जगह-जगह दूर-दराज से पैसे को मोबाइल ट्रांसफर करने की सुविधा प्राप्त थी और हिन्दी, अंग्रेज़ी और भोजपुरी में कंप्यूटर प्रशिक्षण देने वाले ट्रेनिंग सेंटर थे। लेकिन बिजली, पानी और सड़क की हालत खस्ता थी। बादशाहनगर और ऐसे अनेक अन्य उद्यमी उदाहरणों पर आधाररित है यह पुस्तक। जहाँ लोग बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर न होने के बावजूद डिजीटल युग में पूरी तरह से भागीदार हैं और उसका फायदा उठा रहे हैं। डाॅ. कलाम के अनुसार यही है एडवांडेज इंडिया। वे मानते हैं कि यही एडवांडेज है जो स्वच्छ भारत, मेक इन इंडिया, स्मार्ट सिटीज जैसी अनेक योजनाएँ देश की युवा शक्ति को डिजीटल युग के साथ कदम बढ़ाते हुए विकास की ओर ले जा सकती है।
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