कृष्ण ही कृष्ण
कृष्ण ही कृष्ण-
कृष्ण उठत कृष्ण चलत कृष्ण शाम
भोर है,
कृष्ण बुद्धि कृष्ण चित्त कृष्ण मन विभोर है।
कृष्ण रात्रि कृष्ण दिवस कृष्ण स्वप्न शयन है,
कृष्ण काल कृष्ण कला कृष्ण मास
अयन है।
कृष्ण शब्द कृष्ण अर्थ कृष्ण ही परमार्थ है,
कृष्ण कर्म कृष्ण भाग्य कृष्णहि पुरुषार्थ है।
कृष्ण स्नेह कृष्ण र