"यह जिंदगी कैसी है? मैं तंग आ चुका हूँ मुझसे अब और सहन नहीं होता, मेरा सिर दर्द से फटा जा रहा है। शुभ ने सिर पकड़ते हुए जोर से कहा।
"तुम ठीक से अपना ध्यान क्यों नहीं रखते क्यों अपने आपको क्यों परेशान होने दे रहें हो।" अभय ने झुंझलाते हुए कहा।
तो तुम ही बताओ अभय मैं क्या करूँ, मेरी जिंदगी तो बहुत ही बेकार होती जा रही है मैं जितना भी अपनी जिंदगी को संवारने की कोशिश करता हूँ वो और ज्यादा बर्बाद होती जा रही है।" शुभ ने गुस्से से कहा।
(पर शुभ को मन ही मन लग रहा था कि उसे अभय से इस तरीके से बात नहीं करनी चाहिए)
(अभय दूर आसमान में देखने लगा शाम का समय हो गया था और सूरज डूब चला थ सूरज की हल्की हल्की लालिमा पर्वतों के शिखर पर दिख रही थी)
"आई एम सॉरी! अभय मुझे तुमसे इस तरह से बात नहीं करनी चाहिए थी प्लीज मुझे माफ कर दो।" (कहते कहते शुभ ने अपने दोनों हाथ अभय के सामने जो लिए)
"तुम्हें माफी माँगने की कोई जरूरत नहीं है, तुम मेरी जिंदगी का एक बहुत ही अच्छा पार्ट हो इसीलिए तुम मुझसे कुछ भी बोल सकते हो, लेकिन हाँ एक बात मैं तुम्हें बता दूँ जिंदगी वह नहीं होती जो हम देखते हैं जिंदगी वह होती है जिसे हम महसूस करते हैं।" (अभय ने बहुत ही प्यार से शुभ के गालों पर अपने दोनों हाथ रखे और उसका चेहरा अपनी ओर करके प्यार से मुस्कुरा दिया)
(अभय फिर से आसमान की तरफ घूरने लगा शायद वह कुछ सोच रहा था या शायद शुभ को ऐसा लगा कि अभय कुछ सोच कर परेशान है पर वह अपनी परेशानी बताना नहीं चाहता)
"तुम वहाँ क्या देख रहे हो क्या तुम परेशान हो अगर कोई परेशानी है तो मुझे बताओ मैं शायद तुम्हारी कोई मदद करूँगा।" शुभ ने जोर देते हुए अभय से कहा।
"नहीं मैं बिल्कुल भी परेशान नहीं हूँ, बस मुझे तुम्हारी फिक्र हो रही है, मेरा मन चाहता है कि तुम हमेशा खुश रहो लेकिन तुम ऐसा नहीं कर रहे हो तुम बेवजह की फिजूल बातों में परेशान हो जाते हो। इसलिए मुझे ऐसा लग रहा है कि तुम्हें बस खुशी का अनुभव करना चाहिए वरना तुम डिप्रेशन में जा सकते हो और मैं तुम्हें इस तरह नहीं देख सकता।" अभय ने मजबूती से कहा ताकि शुभ को समझ में आ जाए।
"मैं जानता हूँ तुम परेशान हो लेकिन तुम मुझे अपनी परेशानी की वजह बताओगे नहीं है ना।" शुभ ने दृढ़ता से कहा।
"नहीं मैं परेशान नहीं हूँ, बल्कि मेरी परेशानी की वजह तुम हो।" अभय ने मुस्कुराते हुए कहा।
"मतलब मैं तुम्हें परेशान करता हूँ तो मुझे माफी माँग लेनी चाहिए प्लीज मुझे माफ कर दो कि मैं तुम्हारी परेशानी की वजह बन रहा हूँ।" शुभ ने नर्वस होते हुए कहा।"तुम नहीं सुधरोगे है ना मैंने तुमसे कब कहा मैं बस तुम्हारे लिए परेशान हूँ, तुम मेरी परेशानी की वजह नहीं हो बल्कि तुम्हारा साथ मेरे लिए बहुत ज्यादा जरूरी है।" अभय ने शुभ को देखते हुए और मुस्कुराते हुए कहा हालांकि यह मुस्कुराहट थोड़ी धुंधली थी।
(आसमान की लालिमा अंधेरे में बदलती जा रही थी धीरे-धीरे अंधेरा छाने लगा था और यही अंधेरा बहुत ही सुहाना भी लग रहा था पर शायद किसी के मन में यह अंधेरा एक बुरे सपने की तरह छा रहा था)
"पता नहीं अगर अभय तुम नहीं होते तो मेरी जिंदगी बहुत - बहुत खराब होती।" शुभ ने यह बात मन में सोची।
"अब तुम क्या सोच रहे हो शुभ क्या हुआ फिर से सोचने लगें यही तो बात है कि तुम बार-बार सोचने लगते हो और अपने आप को परेशान कर देते हो, क्यों? ऐसा क्यों करते हो?" अभय ने शुभ से बड़े ही प्यार से यह बात बोली।
"नहीं मैं कुछ नहीं सोच रहा हूँ, बस ऐसे ही मैं तुम्हारी तरफ देख रहा था।" शुभ मुस्कुराते हुए बोला साथ ही अभय की तरफ बड़े ही प्यार से देखने लगा।
"अब तुम मुझे किस तो नहीं करने वाले?" अभय ने खिलखिलाते हुए और मुस्कुराते हुए शुभ से कहा।
"नहीं ऐसा नहीं है।" शुभ ने नजरें नीचे की और शर्माते हुए कहा।
"अगर तुम ऐसा करोगे भी तो मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगेगा, बल्कि मैं तो शायद यही.........!" अभय ने मन में यह बात सोची और चेहरे पर एक खुशनुमा हँसी और मुस्कुराहट अभय के चेहरे पर खिल उठी।
"वैसे तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है और हाँ फर्स्ट ईयर के एग्जामिनेशन पास ही आने वाले हैं। शायद डेढ़ महीने में एग्जामिनेशन आ जाएंगे तुम्हारी तैयारी कैसी है एग्जाम को लेकर।" अभय ने बहुत ही प्यार से शुभ से पूछा।
"अभय तुम मेरे मजे ले रहे हो ना! तुम्हें पता है ना मेरे साथ क्या चल रहा है एग्जाम की प्रिपरेशन तो छोड़ो मैंने अभी तक एक भी किताब नहीं पढ़ी हुई है, मुझे दर्द इतना बढ़ जाता है कि मैं किताब पढ़ने में अपना मन लगा ही नहीं पाता हूँ तुम जानते हो ना सब कुछ जानते हो।" शुभ के चेहरे पर एक दर्द भरी लकीर आ गई जिससे शुभ का चेहरा बहुत ही मायूस लगने लगा।
"शुभ मुझे माफ कर दो मैंने फिर से तुम्हें परेशान कर दिया पर मेरा ऐसा करने का कोई इरादा नहीं था, बस! मैं चाहता हूँ कि तुम अपना ध्यान एग्जामिनेशन पर भी लगाओ मैं जानता हूँ तुम्हें बहुत दर्द होता है लेकिन अगर तुम पढ़ाई नहीं करोगे तो एग्जामिनेशन में पास कैसे होगे।" अभय ने भी मायूस होते हुए कहा क्योंकि अभय शुभ का दर्द समझ सकता था।
"नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं आता है मैंने बिल्कुल भी नहीं कहा कि तुमने मुझे कोई परेशानी पहुँचाई या मुझे जरा भी परेशान किया कल कि मुझे तो खुशी है कि तुम्हें मेरी परवाह है तुम मुझे अच्छी तरीके से जानते हो बहुत अच्छे तरीके से। शुभ ने अपनी नजरें दूसरी तरफ फेरते हुए कहा क्योंकि शुभ की आँखों में आँसू आ गए थे।
तुम्हारी आँखों में आँसू है मैंने तुमसे कहा है ना कि जब तक मैं हूँ तब तक तुम्हे रोने की कोई जरूरत नहीं है फिर तुम रो क्यों रहे हो मैं तुम्हारे साथ हमेशा खड़ा हूं और खड़ा रहूँगा।" अभय ने बहुत ही प्यार से शुभ के गालों पर हाथ फेरते हुए कहा।
"अंधेरा बहुत हो गया है, अब हमें घर चलना चाहिए ठीक है ना! चलो चलते हैं और हाँ अब तुम परेशान नहीं होगे मुझसे वादा करो।" अभय ने शुभ की आँखों से आँसू पोंछतें हुए और उसे गले लगाते हुए कहा।
शाम का अंधेरा बहुत अजीब था लेकिन किसी के दिल में एक लो जल रही थी जिससे यह अंधेरा बिल्कुल भी परेशानी नहीं दे रहा था और यह अंधेरा भी उस लो के सामने टिक नहीं पा रहा था क्योंकि जब आपकी जिंदगी में एक ऐसा इंसान होता है जो आप को समझता है आपके साथ होता है आपकी हर एक चीज का ख्याल रखता है तो आपकी कोई भी परेशानी निराशा या हताशा आपको चिंता में नहीं डाल सकती और यही केयर हमें एक दूजे के दिल से जोड़ कर रखती है।
(शुभ और अभय जा रहे हैं अपने घर की ओर एक दूसरे का हाथ पकड़ते और एक दूसरे से हँसी मजाक करते हुए शुभ को जरा भी अकेलापन फील नहीं हो रहा था क्योंकि उसके साथ अभय जैसा एक बहुत अच्छा दोस्त था, उसकी जिंदगी का एक बहुत ही अच्छा सच.....!)