बालकनी की हल्की सुनहरी धूप में रूपेश चाय की कप लेकर बैठा ही था कि किसी ने कॉल बेल बजाई । कौन होगा सुबह सुबह ऐसा सोचते हुए वो दरवाजा खोलने ही जा रहा था कि पत्नी साक्षी ने दरवाजा खोल दिया। सुबह सुबह अपने दरवाजे पर सोसाइटी के गार्ड के साथ एक नौजवान को देखकर दोनों ने पूछा , हां भईया बताइए क्या बात है कौन हैं ये ?
गार्ड ने बताया सर ये आपका फ्लैट पूछ कर आए हैं , दरअसल इनको आपको धन्यवाद देना है । उस नौजवान ने मिठाई का एक डब्बा रूपेश को पकड़ाते हुए बोला , सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया , आपके कारण मुझे आज एक अच्छी नौकरी मिल गई।
रूपेश ने बोला मैं कुछ समझा नहीं , मैंने ऐसा क्या किया ?
सर आपने मेरे पूरे दस्तावेज का फाइल जो एक कैब में छूट गया था , उसको यदि मेरे तक पहुंचाया न होता तो मैं आज कहीं का नहीं रहता ।
दरअसल रूपेश को एक दिन टैक्सी में किसी की एक फाइल सीट पर पड़ी मिली । रूपेश ने ड्राइवर से पूछा भैया ये किसकी फाइल है ? ड्राइवर ने बताया...सर आपके पहले एक लड़के को मैंने उसके घर तक छोड़ा , शायद ये उसकी ही फाइल रह गई हो । रूपेश ने फाइल खोली कि शायद कहीं उस लडके का फोन नम्बर मिल जाए ताकि उस लडके तक उसकी फाइल पहुंच जाय । संयोग से फाइल के अंदर उसका आधार कार्ड मिला , रूपेश ने फोन लगाया और एक तय जगह पर फाइल पहुंचा कर किसी के भविष्य को बिगड़ने से बचा लिया।