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इंसानियत

रत्नमाला

4 अध्याय
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मेरी किताब *इंसानियत* कुछ ऐसी कहानियों का एक संग्रह है , जो प्रेरित करती है कि इंसान को कभी भी किसी को मदद या सेवा करने का मौका मिले तो उसे अवश्य करना चाहिए । तभी हम सच्चे इंसान कहला सकते हैं । नर में ही नारायण का वास होता है। प्रत्येक जीव की सेवा और मदद से ही ईश्वर की सच्ची भक्ति की प्राप्ति होती है ।  

insaniyat

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पुस्तक के भाग

1

शिक्षा

19 अक्टूबर 2023
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मेरे घर एक मालिश वाली दीदी आया करती है। बहुत अच्छी स्वभाव वाली और बहुत ही मेहनती । एक दिन बात करते करते उसने अपना हाथ अपने पेट पर रखा और सहलाने लगी , मैने पूछा क्या हुआ कमला , कोई परेशानी ? उसने

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रिक्शेवाला

19 अक्टूबर 2023
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 घर की सारी खरीदारी कर  शिवानी ने जैसे ही सड़क पर आकर रिक्शा ढूढना शुरू किया , तो ये क्या कोई भी रिक्शा उसे खाली दिख ही नहीं रहा  । कड़ी धूप में शिवानी पसीने से भींगी जा रही थी , तभी उसे एक रिक्श

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फाईल

19 अक्टूबर 2023
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बालकनी की हल्की सुनहरी धूप में रूपेश चाय की कप लेकर बैठा ही था कि किसी ने कॉल बेल बजाई । कौन होगा सुबह सुबह ऐसा सोचते हुए वो दरवाजा खोलने ही जा रहा था कि पत्नी साक्षी ने दरवाजा खोल दिया। सुबह सुबह अ

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संतुष्टि

20 अक्टूबर 2023
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रिद्धिमा कमरे में बैठी टीवी देख रही थी , तभी उसे बालकनी में कुछ आवाज आयी । जाकर देखी तो एक कबूतर परेशान सा फड़फड़ा रहा था । दरअसल उसके दोनों पंजे और पँख पतंग के धागों से बुरी तरह उलझ गये थें । बेचारा का

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