रिद्धिमा कमरे में बैठी टीवी देख रही थी , तभी उसे बालकनी में कुछ आवाज आयी । जाकर देखी तो एक कबूतर परेशान सा फड़फड़ा रहा था । दरअसल उसके दोनों पंजे और पँख पतंग के धागों से बुरी तरह उलझ गये थें । बेचारा काफी प्रयास कर रहा था इस बंधन से निकलने को , पर उसकी कोशिश बेकार जा रही थी ।
रिद्धिमा जल्दी से दौड़ कर कमरे से एक कैंची लेकर आयी , और बड़े ही प्यार और मनुहार से उस बेज़ुबान परिंदे को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर , गोदी में लिया और धीरे धीरे बड़ी सतर्कता से उसने उलझे हुये सारे धागों को काट दिया ।
अब कबूतर को बड़ी राहत महसूस हुई , पर वो इस कदर डरा हुआ था कि रिद्धिमा के गोद में सहमा बैठा ही रहा ।
रिद्धिमा ने अपने छोटे भाई से एक कटोरे में पानी लाने को बोला , कबूतर ने पानी पिया , और कुछ पके हुए चावल खा कर , उसी बालकनी में चहलकदमी करता हुआ फिर फुर्र से आकाश की ओर उड़ गया । रिद्धिमा और उसके भाई मुस्कुराते हुए एकटक देखते रह गये और मन मे संतुष्टि की भाव लिए कमरे मे प्रवेश कर गयें।