ये कैैसी ज़िन्दगी,
कभी घुटन, कभी थकान,
कभी जलन, कभी चुभन,
इक पल की खुशी के बाद
फिर वही ज़िन्दगी।
ये कैैसी ज़िन्दगी,
न सीखना, न सिखाना,
न समझना, न समझाना
इक पल के सन्नाटे के बाद
फिर वही ज़िन्दगी।
ये कैैसी ज़िन्दगी,
अपना खून अपना,
पराया खून पराया,
किसी पराये के दरद
को नही समझती।
ये कैैसी ज़िन्दगी।
- जूही ग्रोवर