shabd-logo

ज़िन्दगी का आईना

9 नवम्बर 2021

18 बार देखा गया 18
मेरी ज़िन्दगी का वो मायना हो गये,
चले  गये, लेकिन  आईना  हो  गये,
पहले किसी की ज़रूरत न थी
मेरी ज़िन्दगी की वो ज़रूरत हो गये।

पल दो पल का सफर था,
या शायद जन्मों का नाता था,
मेरी रूह के वो मेहमान हो गये,
मेरे ख्वाबों की वो पहचान हो गये।

बार बार याद करके आँखें भर आती थीं,
उनकी याद ज़िन्दगी का मकसद बतलाती थी,
उनके मकसद ही हमारे अरमान हो गये,
जीने का वो फरमान हो गये।

मेरी ज़िन्दगी का वो मायना हो गये,
चले  गये, लेकिन  आईना  हो  गये।

                            - जूही ग्रोवर 

Juhi Grover की अन्य किताबें

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

बहुत ही बढिया लिखा आपने।

10 नवम्बर 2021

Juhi Grover

Juhi Grover

10 नवम्बर 2021

धन्यवाद मैम

ममता

ममता

सुंदर सृजन

9 नवम्बर 2021

Juhi Grover

Juhi Grover

9 नवम्बर 2021

धन्यवाद मैम

किताब पढ़िए