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ज़िन्दगी का आईना

9 नवम्बर 2021

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मेरी ज़िन्दगी का वो मायना हो गये,
चले  गये, लेकिन  आईना  हो  गये,
पहले किसी की ज़रूरत न थी
मेरी ज़िन्दगी की वो ज़रूरत हो गये।

पल दो पल का सफर था,
या शायद जन्मों का नाता था,
मेरी रूह के वो मेहमान हो गये,
मेरे ख्वाबों की वो पहचान हो गये।

बार बार याद करके आँखें भर आती थीं,
उनकी याद ज़िन्दगी का मकसद बतलाती थी,
उनके मकसद ही हमारे अरमान हो गये,
जीने का वो फरमान हो गये।

मेरी ज़िन्दगी का वो मायना हो गये,
चले  गये, लेकिन  आईना  हो  गये।

                            - जूही ग्रोवर 

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