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कई रातें

6 नवम्बर 2021

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मैंने जाग जाग कर काटीं थी कई रातें, 
सारी रात आकाश के तारे गिन गिनकर, 
कभी खुद को बिछौना बना कर धरती पर, 
और कभी धरती को अपना बिछौना समझकर, 
सिकुड़  कर,  डर  कर,  सहम  कर, 
अतीत मेरा गुज़रा था  सड़कों पर, 
हुआ करती थी तब मेरी, अपने आप से बातें, 
मैंने जाग जाग कर काटीं थी कई रातें।

जाग कर कटतीं हैं, आज भी रातें, 
मगर गतिमान समय के धुंधले अन्धेरे पर, 
प्रगतिवादिता का ढोंग रचा कर, 
ऊपर वालों को कुछ दे दिला कर,
और नीचे वालों को थोड़ा डाँट डपटकर,
अतीत के याद आते ही ज़मीर को सुलाकर, 
अपने ही साथ भूलकर सभी रिश्ते नाते, 
मैंने जाग जाग कर काटीं थी कई रातें ।

                            - जूही ग्रोवर 

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बहुत बहुत बधाई 👏

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Juhi Grover

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धन्यवाद मैम

Papiya

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👍🏻👍🏻👍🏻

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Juhi Grover

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धन्यवाद

सुकून

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बधाई हो 🌹🌹🙏🙏

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Juhi Grover

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7 नवम्बर 2021

धन्यवाद

ममता

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बेहतरीन प्रदर्शन

6 नवम्बर 2021

Juhi Grover

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6 नवम्बर 2021

धन्यवाद मैम

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