Ghagh Aur Bhaddari Ki Kahawatein(घाघ और भड्डरी की कहावतें )(1 to 5)
१. चुप पंडित और मैली वैश्या अपना घर नष्ट करते हैं |
२. व्यक्ति की लम्बाई से छोटी खटिया उस पर बहुत बढ़ी विप्पति है |
३. नस काटने वाली जूती, बात काटने वाली स्त्री, पहली संतान कन्या, और बाबला भाई --- ये चार बढे दुःख हैं |
४. जो सिर पर बोझा लिए हुए भी गाता है, वो मुर्ख है |
५. जो उधार लेकर क़र्ज़ देता है, जो छप्प्पर के घर में ताला लगाता है और जो साले के साथ बहन को भेजता है, इन तीनो का मुह काला होता है |
६. आलस्य और नींद किसान का, खांसी चोर का, कीचढ़ वाली आंखें वैश्या का और दासी साधू का नाश करती है |
७. ढोल, गंवार और अंगारा तीनो फूटने से नष्ट हो जाते हैं; मगर ककढ़ी, कपास और अनार फूटने से बन जाते हैं मतलब मूल्यवान हो जाते हैं |
८. भूरे रंग की हथिनी, गंजे सिर वाली स्त्री और पौष माह की वर्षा बहुत शुभ है, ये किसी किसी को नसीब होते हैं |
९. बगुले के बैठने से पेढ़ का नाश हो जाता है,
गोभी के जमने से खेत नष्ट हो जाता है;
मुढिया (वह साधू जो सिर मुढ़ाये रहता है ) जिस घर में आता जाता है वह घर नष्ट हो जाता है ,
राजा लोभी हो तो उसका राज नष्ट हो जाता है |
१०. खेती करना, चिठ्ठी लिखना, विनती करना और घोढे की तांग कसना , अपने ही हाथ से करना चाहिए | अगर लाख आदमी भी साथ हो तब भी स्वयं करना चाहिए |