गेहूँ उगाने के मुकाबले दूब उगाना अधिक महत्वपूर्ण है। खास करके पिछड़े, विकासशील देशों में घास उगाना अत्यन्त आवश्यक है ताकि लोगों को अक्ल के लिए चारे की कमी न रहे। इसीलिए दुनियाभर के बड़े-बड़े देशों की बड़ी-बड़ी राजधानियों, बड़े-बड़े शहरों में भी बड़े-बड़े घास के मैदान बनाए गए। कई राजधानियों में तो घास के मैदान का दायरा मीलों तक फैल गया। पार्कों की संख्या में दिन-रात बढ़ोतरी होती गई। किसी की कूबत, हैसियत का पैमाना ही यह बन गया कि जिसके मकान के आगे जितना लम्बा घास का मैदान, उतनी ही ऊँची उसकी पहचान, जितना बड़ा अधिकारी, उसके बंगले के सामने उतना ही बड़ा घास का मैदान। विशाल-विस्तृत फैले घास के मैदानों से एक बड़ा फायदा यह है कि चारों ओर सावन ही सावन नजर आता है, जिससे सब तरफ हरा-ही-हरा सूझता है।