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घास का मैदान

30 जून 2016

187 बार देखा गया 187
featured imageगेहूँ उगाने के मुकाबले दूब उगाना अधिक महत्वपूर्ण है। खास करके पिछड़े, विकासशील देशों में घास उगाना अत्यन्त आवश्यक है ताकि लोगों को अक्ल के लिए चारे की कमी न रहे। इसीलिए दुनियाभर के बड़े-बड़े देशों की बड़ी-बड़ी राजधानियों, बड़े-बड़े शहरों में भी बड़े-बड़े घास के मैदान बनाए गए। कई राजधानियों में तो घास के मैदान का दायरा मीलों तक फैल गया। पार्कों की संख्या में दिन-रात बढ़ोतरी होती गई। किसी की कूबत, हैसियत का पैमाना ही यह बन गया कि जिसके मकान के आगे जितना लम्बा घास का मैदान, उतनी ही ऊँची उसकी पहचान, जितना बड़ा अधिकारी, उसके बंगले के सामने उतना ही बड़ा घास का मैदान। विशाल-विस्तृत फैले घास के मैदानों से एक बड़ा फायदा यह है कि चारों ओर सावन ही सावन नजर आता है, जिससे सब तरफ हरा-ही-हरा सूझता है।

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घास का मैदान

30 जून 2016
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गेहूँ उगाने के मुकाबले दूब उगाना अधिक महत्वपूर्ण है। खास करके पिछड़े, विकासशील देशों में घास उगाना अत्यन्त आवश्यक है ताकि लोगों को अक्ल के लिए चारे की कमी न रहे। इसीलिए दुनियाभर के बड़े-बड़े देशों की बड़ी-बड़ी राजधानियों, बड़े-बड़े शहरों में भी बड़े-बड़े घास के मैदान बनाए गए। कई राजधानियों में तो घास के मैदा

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लावण्य की मृग-मरीचिका

1 जुलाई 2016
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अभी नवयुवाओं की सभ्यता आतुर है, अत्यधिक प्रयत्नशील है, अति खर्चशील है, चेहरे को सौन्दर्य-सम्पूर्ण बनाकर निखारने के लिए, मुखड़े को हर पल चाँद-सा लावण्यपूर्ण दिखाने के लिए। न केवल मुखारविन्द को, बल्कि बालों को भी संवारने के लिए, अलक-श्रृंगार के प्रति, केश-सौन्दर्य-विन्यास के प्रति भी वे ऐसे ही सजग दिखा

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