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राजकिशोर सिन्हा के बारे में

अंग्रेज़ी-हिन्दी अनुवादक, प्रूफ रीडर, पत्र-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन

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राजकिशोर सिन्हा की पुस्तकें

राजकिशोर सिन्हा के लेख

लावण्य की मृग-मरीचिका

1 जुलाई 2016
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अभी नवयुवाओं की सभ्यता आतुर है, अत्यधिक प्रयत्नशील है, अति खर्चशील है, चेहरे को सौन्दर्य-सम्पूर्ण बनाकर निखारने के लिए, मुखड़े को हर पल चाँद-सा लावण्यपूर्ण दिखाने के लिए। न केवल मुखारविन्द को, बल्कि बालों को भी संवारने के लिए, अलक-श्रृंगार के प्रति, केश-सौन्दर्य-विन्यास के प्रति भी वे ऐसे ही सजग दिखा

घास का मैदान

30 जून 2016
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गेहूँ उगाने के मुकाबले दूब उगाना अधिक महत्वपूर्ण है। खास करके पिछड़े, विकासशील देशों में घास उगाना अत्यन्त आवश्यक है ताकि लोगों को अक्ल के लिए चारे की कमी न रहे। इसीलिए दुनियाभर के बड़े-बड़े देशों की बड़ी-बड़ी राजधानियों, बड़े-बड़े शहरों में भी बड़े-बड़े घास के मैदान बनाए गए। कई राजधानियों में तो घास के मैदा

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