लावण्य की मृग-मरीचिका
अभी नवयुवाओं की सभ्यता आतुर है, अत्यधिक प्रयत्नशील है, अति खर्चशील है, चेहरे को सौन्दर्य-सम्पूर्ण बनाकर निखारने के लिए, मुखड़े को हर पल चाँद-सा लावण्यपूर्ण दिखाने के लिए। न केवल मुखारविन्द को, बल्कि बालों को भी संवारने के लिए, अलक-श्रृंगार के प्रति, केश-सौन्दर्य-विन्यास के प्रति भी वे ऐसे ही सजग दिखा