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मैं कोई लेखक तो नहीं किंतु, लेखन मेरा हॉबी अवश्य है, मैं कोई कवि तो नहीं पर कविताई मेरा आरज़ू है, मैं कोई समाज सेवक तो नहीं किंतु, समाज की सेवा मेरी पूजा है, मैं कोई मोटिवेट गुरु तो नहीं किंतु, जिन्दगी से निराश, हताश होकर नाकामयाबी के दमघोंटू वातावरण में जी रहे लोगों के लिए मैं एक ठंडी हवा का झोंका अवश्य हूं.

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अलबेलिया

27 फरवरी 2017
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नई वाली हिन्दी में लिखी गई कहानियों का अलबेला संग्रह अलबेलिया grab your copy soon at bumper discount from Amazon http://www.amazon.in/Albeliya-Govind-Pandit/dp/9386027283/ref=sr_1_1?ie=UTF8&qid=1487911920&sr=8-1&keywords=albeliya

मेरी मां

18 सितम्बर 2016
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मां मेरी ममता की मूरत माँ मेरी चांद सी खूबसूरत कभी दया का पाठ पढ़ाती दिल में कोई आस जगाती घर को अपना स्वर्ग बनाती सपनों की मेरी बगिया सजाती मैं हूं उसकी एकमात्र जरूरत मां मेरी ममता की मूरत माँ मेरी चांद सी खूबसूरत नानी बनकर सुनाती कहानी कोई पाठ पढाए बनकर ज्ञानी घर में नहीं चलती

उम्मीदों की कश्ती

25 अगस्त 2016
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टिमटिमाते तारे की रोशनी में मैंने भी एक सपना देखा है । टुटे हुए तारे को गिरते देखकर मैंने भी एक सपना देखा है । सोचता हूं मन ही मन कभी काश ! कोई ऐसा रंग होता जिसे तन-बदन में लगाकर सपनों के रंग में रंग जाता । बाहरी रंग के संसर्ग पाकर मन भी वैसा रंगीन हो जाता । सपनों से जुड़ी है उम्मीदे

चिड़िया

19 जून 2016
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चिड़िया रानी चिड़िया रानीमुझे तू लगती बड़ी सुहानीपेड़ों पर खूब मजे से रहती हैसुन्दर सुन्दर घोंसला बनाती हैगगन में पंख फैलाकर उड़ती हैथककर पेड़ों पर आ बैठती हैनानी सुनाती तेरी सुन्दर कहानीचिड़िया रानी चिड़िया रानीमुझे तू लगती बड़ी सुहानी            दिनभर दाना चुन चुन लाती है            नन्हें नन्हें बच्चों को

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