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भाग- 2 / गांव में अनिष्ट की शुरुआत

1 नवम्बर 2021

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रानी की बात सुनकर प्रधान ऊजागर सिंह
और ओझा पंचुजठरा दोनों सन्न रह गए। पंचु
जठरा बोला प्रधान जी अगर आपकी बेटी सच कह रही है तो अब इतना समझ लिजिए
हमारा उमरदेही गांव सुरक्षित नही रह गया है। चंपा जो करती है ऐसा जादू की गहरी तंत्र क्रिया से ही संभव हो सकता है। अगर हमारे
गांव की आठ साल कि बच्ची ये क्रिया कर
रही है 'तो जरुर उसे किसी ने सिखाया होगा
और जिसने भी ऐसा किया है वो हरगिज
हमारा मित्र नही है बल्कि हमारा कोई घोर
शत्रु ही हो सकता है मगर सवाल है कि वो
कौन हो सकता है?

प्रधान के माथे पर भी बल पड गये "प्रधान ने
कहा कुछ करने से पहले चंपा के पिता से भी
एक बार मिलना जरूरी है। हो सकता है इस
बारे में उसे कुछ जानकारी हो या फिर यह भीहो सकता है वो खुद या उसकी घरवाली जादूटोना जानते हों। वर्ना चंपा को ये सब आखिरकौन सिखायेगा।

सोच विचार करने करने के बाद अंत में दोनों
डेरहु के घर जा पंहुचे। डेरहु ने अपने दरवाजे
पर प्रधान को देखा तो दौड़ कर पांव छुए और बोला अरे मालिक आप मेरी झोपड़ी में
कैसे पधारे? अगर कोई काम था तो मुझेबुला
लिये होते आपने तकलीफ क्यो की?

प्रधान जी ने कहा ' हां डेरहु बात ही कुछ ऐसीहै कि मुझे आना पड़ा तुम जरा गांव के बगीचेतक हमारे साथ चलो तुमसे कुछ खास बात करना है। डेरहु उनके साथ चल पड़ा, डेरहु मन ही मन डर भी रहा था कि आखिर ऐसीकौन सी बात है कि जिसके लिए मुझे घर से दूर ले जा रहे हैं। पर उसने अपनी सोच जाहिर न होने दिया तीनों बगीचे में पहुंच करपास पडे पत्थरों पर बैठ गए।

प्रधान और ओझा ने बारी बारी से डेरहु से
सवाल करते हुए उसे उसकी बेटी चंपा के
बैलों के खेल के बारे में पूछा तो डेरहु ने
अनभिज्ञता जताई तब ओझा पंचुजठरा ने
चंपा के बैलों वाले खेल के बारे में डेरहु को
जानकारी दी, ओझा की बातें सुनकर डेरहु
अवाक रह गया। उसके माथे पर पसीने की
बूंद छलछला आई।

डेरहु बोला प्रधान जी इस के बारे में मुझे सच
में कुछ भी पता नही है। तो ओझा बोला देखो यदि तुम सच कह रहे हो तो जाकर अपनी बेटी से पूछो कि ये विद्या उसने कहा सीखी और उसका गुरु कौन है? डेरहु बोला ठीक है मै कोशिस करुंगा और मुझे जैसे ही कुछ पता चलेगा मै खुद आकर आपको बताऊंगा।

तीनो इस चर्चा के बाद वापस हो लिए पर तीनों का मन अशांत था।

अगले दिन खाना खाते समय डेरहु ने अपनी
बेटी को प्यार से पुचकारते हुए पूछा, बेटी चंपा तू जो बैलौं वाला खेल खेलती है वो खेल तूने कहाँ से सीखा? चंपा ने कोई उत्तर
न दिया पर उसके चेहरे के भाव बदलने लगे
एक कठोर गुस्सा उसके चेहरे पे साफ नजर
आने लगा, डेरहु उसे नजरअन्दाज करते हुए
फिर बोला अच्छा चल ये तो बता कि तेरा गुरु कौन हैं?

इस बार चंपा बुरी तरह बिफरते हुए खाना छोड़ कर उठ खड़ी हुई और बोली बापु आज
के बाद मेरे गुरु के बारे में कभी कुछ ना पूछना नही तो बहुत बुरा होगा। डेरहु अपनी बेटी के इस धमकी भरे स्वर से भीतर ही भीतर सहम गया।

अगले दिन मौका निकाल कर डेरहु ने सारी
बातें प्रधान जी को बताई।

इस चर्चा के बाद तो हर दिन कुछ न कुछ अजीब बात डेरहु के घर में होने लगी। चंपा
अब हर रात अपने मां या बापु के पैर पर ही
अपना सिर रखकर सोती, यदि पैर पर से सिरहटाया जाता तो उस पैर में इतनी सूजन चढजाती कि चलना दूभर हो जाता। डेरहु औरउसकी पत्नी इस सजा को भुगतने के लिएमजबूर थे।

गांव के तालाब में चंपा हर दिन मुंह अंधेरे
सबसे पहले स्नान करती। उमरदेही के दाऊ
हरकिशन भी अलसुबह स्नान करने उसी तालाब में जाया करते थे। दाऊ जी ने गौर
किया कि जब भी वो तालाब जाते चंपा उन्हें
नहाकर वापस लौटती ही मिलती। चूंकि चंपा
की कहानी दाऊ के कानों तक भी पहुंच चुकी थी। दाऊ चंपा को आजमाने के इरादे से हरसुबह पिछले दिन की अपेक्षा घर से तालाब जाने के लिए जल्द ही निकलते लेकिन दाऊ कभी भी चंपा से पहले उस तालाब में नही नहा पाए।

नोट-  चंपा के और भी रहस्य मयी कारनामे
जानने के लिए उपन्यास का अगला भाग
पढिए। और अपना बहुमूल्य प्रतिसाद प्रदान
करिए। आप सबके प्रोत्साहन से मनोबल में
वृद्धि होती है। आपकी समीक्षा ओं से प्रेरणा
मिलती है।

प्रान्जलि काव्य (ममता यादव)
Ashu

Ashu

Behtareen👍👍

4 मार्च 2022

24 दिसम्बर 2021

Anita Singh

Anita Singh

बढ़िया

23 दिसम्बर 2021

ममता

ममता

23 दिसम्बर 2021

धन्यवाद मैडम जी

Jyoti

Jyoti

👍

20 दिसम्बर 2021

ममता

ममता

20 दिसम्बर 2021

धन्यवाद मैडम जी

9 दिसम्बर 2021

ममता

ममता

20 दिसम्बर 2021

धन्यवाद मैडम जी

Radha Shree Sharma

Radha Shree Sharma

कथानक रोचक और रहस्यमय है... 😊 😊 😊 बहुत बहुत बधाई लेखिका जी 🙏🏻🌷🙏🏻 सादर 🙏🏻 🌹 🙏🏻

8 नवम्बर 2021

ममता

ममता

20 दिसम्बर 2021

धन्यवाद मैडम जी

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

बहुत बढ़िया लिखा है

2 नवम्बर 2021

ममता

ममता

2 नवम्बर 2021

धन्यवाद आपका

15
रचनाएँ
तांत्रिक लड़की और उसके बैल
5.0
यह उपन्यास मुख्यतः जादू टोना और तंत्र क्रिया पर आधारित है। दुश्मनी के कारण एक नाबालिग को किस तरह जादू टोना सिखाकर पूरे समाज को तंग किया जाता है यह आपको इस उपन्यास में पढने को मिलेगा। उपन्यास में कुल पन्द्रह अध्याय हैं।जिसमें निजी दुश्मनी के चलते एक लड़की के जीवन को किस तरह बर्बाद किया जाता है यह बताया गया है। ममता यादव (प्रान्जलि काव्य) स्वरचित व मौलिक उपन्यास (कापी राइट रिजर्व)
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