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भाग- 1 उपन्यास की पृष्ठभूमि

29 अक्टूबर 2021

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जादू टोना पर आधारित इस उपन्यास की कहानी शुरू करने से पहले कहानी की पृष्ठभूमि का परिचय देना बेहद जरूरी है
यह कहानी एक ग्रामीण अंचल के छोटे से
आदिवासी बाहुल्य गांव 'बमुश्किल जिसकी
आबादी लगभग डेढ़ सौ झोपड़ियों वाली एक
छोटी सी बस्ती से शुरू होती है।
यहां का जन जीवन' कृषि 'पशुपालन तथा
वनोपज पर ही निर्भर है।
यहां शासकीय नियम के कोई मायने नही है।
इस गांव में गांव का मुखिया ऊजागर सिंह ही
गांव "उमरदेही" के प्रधान कहलाते हैं। ऊजागर सिंह और उनके साथी पंचो का कानून ही सर्वोपरि होता है जिसे सारा गांव
सर झुकाकर मानता है। उनके फैसले के खिलाफ जाने की हिम्मत किसी की भी नही
होती। 
गांव उमरदेही आधुनिकता की चकाचौंध से
अब भी बहुत दूर है। यहां लोगों का जीवन
परंपराओं से बंधा हुआ है। इनका खान-पान
रहन-सहन 'वेषभूषा त्योहार विवाह आदि
सभी पारंपरिक दायरे में ही बंधे हैं।
उमरदेही के लोग बहुत जल्दी गांव के बाहरी
लोगों से मेल जोल नही बढ़ाते और न ही उन
पर जल्दी यकीन करते हैं। लेकिन इनमें आपस में विश्वास और सहयोग की भावना
कूट - कूट कर भरी हुई है।
उमरदेही में बिजली की सुविधा पहुची तो जरूर है मगर केवल गांव की सड़कों तक ही बिजली का प्रकाश पहुंच पाया है। 
गांव के लोग अपने घरो में आज भी चिमनी
दीये और लालटेन का ही प्रयोग करते हैं। 
उमरदेही में बिरला ही कोई घर ऐसा होगा जहां पशु न पाले गए हो। वर्ना तो गाय, बैल
भैंस' बकरी' भेंड़ ' मुर्गा - मुर्गी के अलावा खेत और घर की रखवाली के लिए कुत्ता
पालना इनकी जरुरतों में शामिल है। 
उमरदेही के लोग अपने पालतू पशुओं को
घर के सदस्य का दर्जा देते हैं। 
एक परंपरा इनके जीवन की थोड़ी अजीब सी लगती है। कि जब इनका कोई पालतू पशु मर जाता है तो ये उसका शोक मनाते हैं। पर किसी इन्सान की मृत्यु हो जाती है तो 'मृतक' को नहलाकर उसे नए कपड़े पहनाकर खुले मैदान में लेटाकर सभी नशीले
पेय का सेवन करने के बाद शव के चारों ओर चक्कर लगाते हुए ' नाचना और गाना बजाना करते हैं।
बताया जाता है उन गीतों के अर्थ बड़ मार्मिक होते हैं। गीत के माध्यम से मृतक को उसकी शेष जवाबदारी पूरी करने का आश्वासन देने के साथ उसके असमय साथ
छोड जाने का उलाहना और दुख व्यक्त करते हुए उससे फिर मिलने का वादा किया जाता है।
गांव प्रधान प्राथमिक शाला का अध्ययन करने के कारण पढे लिखे कहलाते हैं। बाकी पांचों पंच बल्दू ' सौकी' मंझा ' मैकू और दानी ये तो हांड मांस के वो पुतले है कि जिनके पास शारीरिक बल तो बहुत हैं पर
दिमाग उतना ही काम करता है जितना प्रधान जी कहें। 
वक्त बेवक्त सभी पंच प्रधान ऊजागर सिंह के
उल्टे-सीधे फैसलों पर अपनी दबंगई की मुहर
लगाकर अपनी जगह फिक्स कीए हुए हैं। वर्ना पंच का पद छिन जाने की संभावना बनी रहती है।
प्रधान जी अगर थोड़ा किसी से दबते है तो वो है " पंचु जठरा" दरअसल पंचु जठरा गांव
उमरदेही का ओझा है। और ऐसा माना जाता है। कि पंचु जठरा जैसा ओझा गुनिया ( झाड़
फूंक करने वाला) आसपास के गांवों मे या दूर दूर तक भी कोई नही है। इसलिए आसपास के गांवों से भी लोग पंचु जठरा के पास ही इलाज के लिए आते हैं। 
पंचु जठरा के कई चेले भी है जो उससे ओझाई सीख रहे हैं। वैसे तो गांव उमर देही का हर आदमी अपने में मस्त रहनेवाला है। पर वक्त ये अपनी जवाबदारी निभाना भी खूब जानते हैं। 
उमरदेही में तमाम कच्चे मकानों के बीच ही 
दो बडे-बडे और पक्के मकान भी है। एक है 
प्रधान ऊजागर सिंह का और दूसरा है गांव के किराना व्यवसायी फूलचंद का। 
वैसे तो अब तक गांव उमरदेही में सब कुछ 
सामान्य ही चल रहा था कि अचानक एक ऐसी घटना हो गई कि गांव के शांत वातावरण में हलचल मच गई। ईस क्षेत्र में 
तीज के त्योहार के बाद ही ' पोरा' नाम का एक त्योहार भी आता है।
इस पोरा पर्व में हाट बाजार में मिट्टी के खिलौने खूब बिकते है। यह त्योहार मुख्य रुप से बच्चो के लिए ही होता है। इसलिए
मिट्टी के खिलौने लगभग हर घर में खरीदे जाते हैं। लडकियों के लिए चूल्हे चौके से संबंधित सामान और लडकों के लिए खेती से जुड़े सामान जैसे ' हल' बैल ' बैलगाड़ी'
और खेती के औजार इत्यादि सबकी बहुतायत में खरीदी बिक्री होती है। 
यह त्योहार दरअसल में बचपन में ही खेल के माध्यम से बुनियादी प्रशिक्षण देने का 
सरल माध्यम हैं। 
इसी पोरा पर्व के बाद किसी दिन प्रधान ऊजागर सिंह की बेटी रानी अपनी सहेलियों के साथ अपने घर के बरामदे में मिट्टी के बैल लेकर खेल रही थी। उसने बरामदे में ही चारों कोनों में एक एक बैल रख दिये और खुद उनके बीच में खड़ होकर चुटकियां बजाकर
बैलों को अपने पास आने का इशारा कर रही थी। अभी ये खेल चल ही रहा था कि इतने में पंचु जठरा किसी काम से प्रधान जी के पास आया। जैसे ही ओझा पंचु जठरा की नजर
प्रधान की बेटी के बैलौ वाले खेल पर पड़ी
उसके पैरों तले की जमीन सरकने लगी। ओझा ने बड़ी विनम्रता से प्रधान जी से कहा
कि आप अपनी बेटी से पूछिए कि उसने ये 
खेल कहां सीखा? प्रधान जी बोले इसमें पूछनेवाली क्या बात है? अरे भाई बच्ची है
और बच्चियों के साथ खेल रही है और क्या? आप समझ नही रहें हैं प्रधान जी पहले अपनी बेटी से पूछिये तो सही फिर बाकी की
बातें मै आपको बताता हूं। 
ओझा की बात की संजीदगी को महसूस करते हुये प्रधान जी ने अपनी बेटी को पुकारा बेटी रानी यहां तो आओ ' आवाज सुनकर रानी दौडकर आई हां बाबु बोलो तब
प्रधान जी ने पूछा बेटा ये बैलों वाला खेल तुम कहां सीखी हो ? रानी ने कहा वो डेरहु
चाचा की बेटी है न चंपा जब वो अपने बैलों को कमरे के चारों कोने में खड़ा कर देती है। 
और खुद बीच में खड़ होकर चुटकी बजाती
है तो उसके बैल दौड़ कर उसके पास आ जाते हैं। 
पर मै जब अपने बैलों को बुलाती हूं तो वो
मेरे पास नही आते हैं। इतना कहकर रानी बड़ भोलेपन से बोली बाबु आपने हमारे लिए दौड़ने वाला अच्छा बैल क्यों नही लाया?
क्रमशः....... +.........?
     अगले भाग में पढिए। 
Ashu

Ashu

Boht hi shaandar

3 मार्च 2022

24 दिसम्बर 2021

Anita Singh

Anita Singh

बहुत सुन्दर👌

23 दिसम्बर 2021

ममता

ममता

23 दिसम्बर 2021

धन्यवाद मैडम जी

Jyoti

Jyoti

बहुत बढ़िया

20 दिसम्बर 2021

ममता

ममता

20 दिसम्बर 2021

धन्यवाद मैडम जी

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Bahut hi accha likha aapne 👌👌

29 नवम्बर 2021

ममता

ममता

20 दिसम्बर 2021

धन्यवाद मैडम जी

Radha Shree Sharma

Radha Shree Sharma

बहुत ही विचारणीय पृष्टभूमि है... सादर 🙏🏻 🌹 🙏🏻

8 नवम्बर 2021

ममता

ममता

12 नवम्बर 2021

धन्यवाद आपका

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

बहुत बढ़िया लिखा है

2 नवम्बर 2021

ममता

ममता

2 नवम्बर 2021

धन्यवाद दिनेश जी

Shailesh singh

Shailesh singh

बहुत ही अच्छी शुरुआत मैंम 👌👌

29 अक्टूबर 2021

ममता

ममता

29 अक्टूबर 2021

धन्यवाद शैलेश जी

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रचनाएँ
तांत्रिक लड़की और उसके बैल
5.0
यह उपन्यास मुख्यतः जादू टोना और तंत्र क्रिया पर आधारित है। दुश्मनी के कारण एक नाबालिग को किस तरह जादू टोना सिखाकर पूरे समाज को तंग किया जाता है यह आपको इस उपन्यास में पढने को मिलेगा। उपन्यास में कुल पन्द्रह अध्याय हैं।जिसमें निजी दुश्मनी के चलते एक लड़की के जीवन को किस तरह बर्बाद किया जाता है यह बताया गया है। ममता यादव (प्रान्जलि काव्य) स्वरचित व मौलिक उपन्यास (कापी राइट रिजर्व)
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भाग- 1 उपन्यास की पृष्ठभूमि

29 अक्टूबर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">जादू टोना पर आधारित इस उपन्यास की कहानी शुरू करने से पहले कहानी

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भाग- 2 / गांव में अनिष्ट की शुरुआत

1 नवम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">रानी की बात सुनकर प्रधान ऊजागर सिंह</span></div><div><span style

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भाग-3-रहस्यमय परिस्थितियां

5 नवम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">चंपा आए दिन कोई न कोई रहस्यमय कारनामे किया करती।</span></div><di

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भाग4_तांत्रिक लड़की से ओझा का सामना

8 नवम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">ओझा पंचुजठरा डेरहु के घर की ओर चल पड़ा उसके दिमाग में तो उथल-पुथ

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भाग-5 - नित नये ऊजागर होते रहस्य

11 नवम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">ओझा पंचुजठरा की बात से सहमत होते हुए</span></div><div><span styl

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भाग 6 - खौफ की तस्वीर

14 नवम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">बेटी से बात करने के बाद विशम्भर ने, प्रधान</span></div><div><spa

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भाग- 7 - आंतक से सामना

17 नवम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">फूलचंद भागते-भागते सीधे प्रधान जी के</span></div><div><span styl

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भाग-8 _अविस्वसनीय घटनाऐं

19 नवम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">अगली सुबह प्रधान जी को अपना दरवाजा</span></div><div><span style=

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भाग-9 - तांत्रिक लड़की का खतरनाक वार

21 नवम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">फूलचंद ने अधखुली कातर आंखों से ओझा</span></div><div><span style=

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भाग-10 - ओझा और प्रधान की मंत्रणा

22 नवम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">कल के विचार विमर्श के बाद आज ओझा और प्रधान जी ने डेरहु के खेत की

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भाग-11_रणनीति

24 नवम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">प्रधान जी का संदेश मिलते ही भोरमदास सीधे प्रधान जी से मिलने चला

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भाग-12-बढती मुश्किलें

27 नवम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">प्रधान जी से ईजाजत पाकर डेरहू अपने खेत की ओर चल पड़ा उसके आंसू र

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भाग-13 - भय अब गुस्से में बदलने लगा है।

29 नवम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">डेरहु की घरवाली के दिमाग में तो जैसे आंधियां चल रही थी, इतने में

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भाग-14_ गुरु महाराज का आगमन

1 दिसम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">गांव वालों में इतना रोष भरा था कि किसी ने ओझा को राम-राम भी नही

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भाग-15 उपन्यास " तांत्रिक लड़की और उसके बैल"का समापन।

2 दिसम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">गुरु महाराज ने दोनों गुडिया टोकरी से निकाल कर उसे बैठने वाली मुद

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