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भाग दो...

12 नवम्बर 2021

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अगले दिन.... 

दिनकर रोज़ की तरह अपने खेतों में काम कर रहा था... तभी गोपाल दौड़ता हुआ उधर आया... । 

गोपाल:- दिनकर..... रामु..... सुरेश..... लालू.... अरे जल्दी इधर आओ सब....।।।। 

सब लोग दौड़ते हुए उसके पास आए.... और बोले.... क्या हुआ..?
गोपाल तु इतना घबराया हुआ क्यूँ हैं... सब ठीक तो हैं ना....।।। 
गोपाल:- अरे वो रमेश..... रमेश का बेटा हैं ना.... 

दिनकर:- क्या हुआ उसे....????? 

गोपाल:- उसके अंदर उसी चुड़ैल का साया चला गया हैं..... मैं अभी अभी अपनी आंखों से सब देखकर आ रहा हूँ..... वो बोल रही थी.... मैं इस गाँव के हर जवान लड़कें से शादी करुंगी....।।।।। अगर किसी ने मना किया तो मैं उसे मार डालुंगी......।।।।। फिर थोड़ी देर बाद वो बिल्कुल पहले जैसा हो गया..... और उसे कुछ याद भी नहीं....।।।।। अरे दिनकर तु तो खुशनसीब हैं कि तेरा बेटा शहर में हैं..... लेकिन लालू.... सुरेश..... तुम दोनों के बेटे तो यही हैं.... मैं तो कहता हूँ उनको भी शहर भेज दो.... बल्कि गाँव के हर लड़कें को ही कुछ समय के लिए बाहर भेज देना चाहिए.... जब उस चुड़ैल को कोई मिलेगा ही नहीं तो अपने आप गाँव छोड़कर चली जाएगी....।। 

रामु:- ये क्या बात हुई गोपाल.... सब लड़कों को बाहर भेजने के बाद भी अगर वो नहीं गई तो..... हमें सरपंच जी के पास जाना चाहिए... आखिर ऐसे कब तक हम सब डर डर कर रहेंगे.... अरे सरपंच को कहकर कोई तांत्रिक विघा करने वाले को बुलाकर....उसे हमेशा के लिए गाँव से बाहर कर देते हैं....।।। 

दिनकर:- हां... ये सही कह रहा हैं.... सब लड़कों को शहर भेजना समस्या का हल नहीं हैं... हमें गाँव के सभी लोगों को इकट्ठा करके सरपंच के पास चलना चाहिए....।।। 

गोपाल:- अरे सरपंच के पास कितनी बार जाकर आए हैं... उसे कुछ करना होता तो कबका कर लेता.... उसके खुद के बेटे तो बैठे हैं विदेश में.... वो भला हमारी क्यूँ सुनेगा...।।। 

सुरेश:- फिर भी हमें एक बार और चलना चाहिए.... क्या पता अब वो कुछ मदद कर दे...!!! 

दिनकर:- हां चलो एक बार फिर से बात करके देखते हैं...।।।। तुम सभी सबको वहाँ बुलाओ.... मैं दो मिनट घर से होकर वहाँ पहुंचता हूँ....।। 

गोपाल:- ठीक हैं... अभी तुम सब चाहते हो तो चलते हैं... आओ...।।।। 

सभी लोग एक दूसरे को इकट्ठा कर सरपंच के घर जातें हैं....।।।।। दिनकर अपने घर जाकर :- सरू.... मैं क्या कहता हूँ... तुम अभी चन्द्र को फोन करके यहाँ आने के लिए मना कर दो...।।। 

सरस्वती:- क्यूँ जी.... क्या हुआ....!!! 

दिनकर ने उसे गोपाल की बताई हुई सारी बात बता दी....।।। 

सरस्वती:- हे.... राम..... ठीक हैं..... आप जाओ पंचायत में...... मैं अभी चन्द्र को फोन करके मना कर देती हूँ....।।।। 


दिनकर वहाँ से चला जाता हैं..... सरस्वती अपने बेटे को फोन करती हैं पर उसका फोन नहीं लगता हैं...।।।।। 
सरस्वती बार बार फोन लगाती रहती हैं...।।।। 

वही दूसरी ओर सरपंच के घर..... :- सरपंच जी अब इस समस्या का कुछ तो बेहतर हल निकालिए.... वरना ऐसे तो हमारा जीना हराम हो जाएगा....।।। 

सरपंच:- मैं तुमसे पहले भी कह चुका हूँ... आज भी कह रहा हूँ.... भूत... चुड़ैल....आत्मा... ऐसा कुछ नहीं होता... ये तुम सबका वहम हैं... अरे शहरों में कभी सुना हैं ऐसा... इसको भूत आ गया... उसको भूत आ गया... क्यूँ दिनकर.... क्यूँ लखन... तुम्हारे बेटे भी तो शहर में रहते हैं.... उन्होंने कभी बताया हैं तुम्हें कुछ ऐसा... बोलो..!! 

दिनकर और लखन साथ में... :- नहीं मालिक... कभी नहीं...।। 

सरपंच:- देखा.. अरे वहाँ तो हमसे दस गुना ज्यादा लोग रहते हैं....।।।।देखो ये सब तुम्हारा वहम हैं... और कुछ नहीं...।।।। फिर भी अगर तुम्हे डर लग रहा हैं तो रात को बाहर मत निकलो... भूत तुम्हारे घर के अंदर तो नहीं आ रहा हैं ना...।।। 

रमेश:- लेकिन मालिक... आज मेरे बेटे के साथ जो हुआ.... उसके बाद डर तो लगता हैं ना.....।। 

सरपंच:- ठीक हैं तो बताओ.... क्या चाहते हो तुम.. में जाकर उस चुड़ैल से लड़ु....!!! 

गोपाल:- मालिक.... क्यूँ ना किसी तांत्रिक... को भूला कर उस चुड़ैल को हमेशा के लिए यहाँ से भगा दिया जाए...!!! 

सरपंच:- ठीक हैं.... अगर तुम लोगो को ऐसा ही करना हैं तो बुला लो किसी ऐसे शख्स को.... उसकी विधी करने का सारा खर्च मैं दे दुंगा...।।। 

सरपंच का ये फैसला सुन सभी खुश हो गए और सरपंच की जय जयकार करने लगे...।।।। 

सरपंच वहाँ से चला गया.... गाँव के दूसरे लोग अब तांत्रिक को खोजने में एक दूसरे से विचार विमर्श करने लगे... ।।। 

कुछ देर बाद उन्होंने दो ऐसे तांत्रिकों का पता लगाया जो ऐसी क्रियाएँ करते हैं.... कुछ लोगों ने आपसी सहमति से उनके पास जाने का निर्णय लिया....।।।। 

दिनकर अपने घर पहुंचा...।।।। दोपहर के तकरीबन एक बज रहे थे...।।। 

सरस्वती ने दिनकर के क्षमा आतें ही कहा:- क्या हुआ जी... क्या फैसला हुआ.... पंचायत में...।।।। 

दिनकर:- फैसला तो इस बार अच्छा लिया हैं सरपंच ने.... कालू और भोलु गए है.... तांत्रिक को बुलाने.... उनसे बात करने... दोनों में से जो भी  आया.... वो अपनी शक्ति से भगा देगा उस चुड़ैल को हमेशा के लिए....।।।।। अच्छा ये बता तुने चन्द्र को फोन किया....!!! 

सरस्वती:-आप गए हो तब से फोन लगा रहीं हूँ... फोन लग ही नहीं रहा हैं...।।। 

दिनकर:- चलों कोई बात नहीं... तुने उसे बाकी सब तो अच्छे से बता दिया हैं ना...!! 

सरस्वती:- हां जी.... कल रात को फोन करके फिर से उसे दोपहर तक आ जाने का बोल दिया था.... पेट्रोल अच्छे से भराकर... गाड़ी अच्छे से चेक करा कर.... सब कुछ समझा दिया था...।।।। लेकिन पता नहीं क्यूँ फोन ही नहीं लग रहा हैं...।।।। 

दिनकर:- कोई बात नहीं.... चिंता मत कर.... समय पर आ  जाएगा... अच्छा मैं अभी खेतों में जा रहा हूँ... सब काम ऐसे ही छोड़ आया था  ।। 

सरस्वती:- आए हैं तो.... खाना तो खाकर जाईये...।।। 

दिनकर:- ठीक हैं तु खाना लगा मैं हाथ मुंह धोकर आता हूँ...।।।। 

दिनकर और सरस्वती ने साथ बैठकर खाना खाया फिर दिनकर खेतों में चला गया...।।।।
 

दोपहर के तकरीबन तीन बजे शहर में............. 

चन्द्र:- अच्छा विजय अभी मैं निकलता हूं यार... बाकी का जो भी काम हैं तु देख लेना... मुझे पहले ही बहुत देर हो गई हैं.... मुझे चार बजे तक पहुंचना था.... तीन तो यही बज गए हैं...।।। अभी निकलुंगा तो छह तक तो पहुँच जाउंगा...।।।। 

विजय मस्ती करते हुए :- तीन बजे क्या लड़की वाले आ रहें थे क्या तुझे देखने....!!! 

चन्द्र:- अभी तु भी शुरू मत हो जा यार.... घर जाकर मम्मी तो शुरू होने ही वाली हैं...।। 

विजय:- हां तो फिर कर क्यूँ नहीं लेता शादी...?? तु दिखने में हिरो लगता हैं... कमाता भी अच्छा हैं... तुझे तो कोई लड़की ना बोल ही नहीं सकती..।। 

चन्द्र:- लेकिन मुझे भी तो लड़की पसंद आनी चाहिए ना...।। 

विजय:- कैसी लड़की चाहिए तुझे...?? 

चन्द्र:- मुझे नहीं पता... पर इतना पता हैं कि एक बार उसे देखूँ तो  देखता ही रहूँ....।।।।। 

विजय:- मतलब.... जनाब को लव मैरिज करनी हैं...। 

चन्द्र:- हां यार....अरेंज मैरिज.... बस एक समझोता होती हैं.... जो हमको जबरदस्ती निभाना पड़ता हैं...।। 

विजय:- तो कहाँ हैं वो तेरी सपनों की रानी...।। 

चन्द्र:- अभी तक तो मिली नहीं.... मिलेगी तो सबसे पहले तुझे फोन करुंगा.... चल अब मैं चलता हूँ.... बाय....।।। 

विजय:- बाय.... टेक केयर....

चन्द्र अपना सारा जरुरी सामान लेकर अपनी बाईक से अपने गाँव के लिए रवाना हो जाता हैं...।।।। 

अभी कुछ दुर ही पहुंचा होगा की उसकी माँ का फोन आया...।। 

चन्द्र फोन देखते हुए.... ओहह नो फिर से मम्मी का फोन...उठाउंगा तो फिर से वही सब बातें दोहराएगी..... अभी तक आया क्यूँ नहीं.... पेट्रोल अच्छे से डलवाया की नहीं....।।।। एक काम करता हूँ.... फोन को बंद कर देता हूँ... अभी सीधे घर जाकर उनसे बात करता हूँ...।।। वैसे भी छह तक तो पहुँच ही जाउंगा...।।।। 

चन्द्र तेज़ रफ़्तार से अपने गाँव बस पहुँच ने ही वाला था की गाँव से कुछ दूरी पर सड़क के किनारे एक लड़की खड़ी दिखाई दी.... जो हाथ हिलाकर लोगों से लिफ्ट मांग रहीं थी.... लेकिन कोई रुक नही रहा था... चन्द्र ने ये देखा तो वो उसके पास गया।। 

चन्द्र उसके करीब पहुंचा तो बस देखता ही रह गया..... लम्बे काले बाल.... नशीली आंखें... गोरा रंग... मुस्कान ऐसी की बस...।।। 

हैलो.... हैलो..... आप सुन रहे हैं.... वो लड़की चन्द्र को बोली....।।।। 

चन्द्र जैसे अचानक होश में आया हो.. :- हां हां...... हां बोलिये.... आप......आप..... यहाँ ऐसे सुनसान सड़क पर..... कहाँ जाना हैं आपको....।।। 

लड़की:- जी ... मेरी गाड़ी खराब हो गई हैं.... ( लडकी ने अपने पीछे खड़ी एक टु व्हीलर की तरफ़ ईशारा करते हुए कहा ) क्या आप मुझे हिम्मतपुर छोड़ देंगे.... प्लीज....।। 

चन्द्र तो जैसे उसमें खो गया था.... वो मन ही मन सोचते हुए.... ये ही तो हैं वो जिसको मैं अब तक ढुँढ रहा था.. । हाय पहली नजर में ही दिल ले गई.... वाह रे मेरी किस्मत....।। 

लड़की:- हैलो जी.... क्या आप मुझे छोड़ सकते हैं...??? 

चन्द्र:-हां...... हां..... क्यूँ नहीं...... मैं भी वही जा रहा हूँ..... आइये बैठिये....।।।। वैसे आपका नाम...!!! 

लड़की:- जी मेरा नाम सपना हैं.... और आपका....!! 

चन्द्र:- सपना.... बहुत ही प्यारा नाम हैं आपका.... मैं चन्द्र...।।। 

सपना:- चन्द्र..... क्या मैं आपको चांद बोल सकती हूँ..... वो ज्यादा सही हैं....।। 

चन्द्र:- हां.... हां क्यूँ नहीं.... मतलब तो दोनों का एक ही हैं ना...।।।। 
आइये बेठिए....।।।। 

सपना चन्द्र की बाईक पर बैठ गई....।।।। 

चन्द्र ने बाईक स्टार्ट की ओर कहा.... बुरा ना माने तो एक बात कहूँ सपना जी....!!! 

सपना:- बुरा तो मैं बिना आपके कुछ बोलने से पहले ही मान गई...!! 

चन्द्र:- क्यूँ..... क्या हुआ...!!! 

सपना:- सपना.... सिर्फ सपना कहिए.... वो अच्छा हैं... ये जी जी  अपने पास रखिये....।। ओके मिस्टर चांद....।। 

चन्द्र:- ओहह..... मैं तो डर ही गया था....।। 

सपना:- अब बोलिये क्या कह रहे थे आप....?? 

चन्द्र:- वो मैं डस ये कह रहा था.... आगे.... वो आगे रास्ता बहुत खराब हैं तो बस आप थोड़ा संभल कर बैठिएगा.....। 

सपना:- हां..... मैं जानती हूँ.... मैं पहले भी यहाँ आ चुकी हूँ...।।। 

चन्द्र:- आप हिम्मतपुर में ही रहती हैं....?? 

सपना:- नहीं वहाँ मेरे अंकल रहतें हैं.... मैं तो शहर में रहतीं हूँ... यहाँ अक्सर उनसे मिलने आती हूँ...।।।।। आप यही रहतें हैं....?? 

चन्द्र:- हां मेरा घर यहीं हैं.... वैसे मैं भी बहुत समय से शहर में ही था... आज बहुत समय बाद घरवालों से मिलने जा रहा हूँ.... कुछ दिन यही रहुंगा फिर वापस अपने शहर...।।।। 

सपना:- ओहहह..... कौन कौन हैं आपके परिवार में...!! 

चन्द्र:- माँ... बापु और मैं..... बस....।।।।। आपके....?? 

सपना कुछ बोलती इससे पहले ही खराब रास्ते की वजह से सपना को एक जोर का झटका लगा और उसने संभलने के लिए चन्द्र को पीछे से कसकर पकड़ लिया....।।। उसके दोनों हाथ.... चन्द्र के बाजू से होतें हुए उसके सीने तक आ गए थे.... अचानक हुए इस जकड़ से चन्द्र भी अपना बैलेंस खो बैठा और दोनों सड़क किनारे मिट्टी में जा गिरे...।।।। चन्द्र नीचे और सपना उसके ऊपर थी....।।।।। 

गिरते ही दोनों जैसे सब कुछ भूल चुकें थें.... दोनों एक दूसरे को बस देखें जा रहें थे.... दोनों एक दूसरे की आंखों में खो चुके थे...।।।।।

थोड़ी देर बाद एक आवाज से दोनों को होश आया..... भाईसाहब ज्यादा लगीं तो नहीं....???? 

पास में से गुजर रहें एक बाईक वाले ने अपनी बाईक रोकते हुए पुछा...!! 

सपना अपनी नजरें चुराते हुए... अपने बाल बनाते हुए... उठी....।।। 
चन्द्र भी उठा और कहा:- नहीं भाई हम ठीक हैं... शुक्रिया....।।।। 

ये सुन वो बाईक वाला वहाँ से चला गया...।।। 

उसके जाने के बाद.... चन्द्र ने अपनी बाईक उठाई... अपना बैग उठाया और बाईक स्टार्ट की....।।। फिर सपना को  कहा.... बैठो....।।। 

सपना बैठने ही वाली थी कि उसने देखा... चन्द्र के हाथ से खुन बहाने रहा हैं... वो झट से चन्द्र के पास आई और बोली:- चांद आपके हाथ में तो चोट लगी हैं.... कितना खुन बह रहा हैं...।।। आप बाईक साईड में खड़ी किजिए पहले आईए...।।। 

चन्द्र:- छोटी सी चोट हैं.... और कुछ नहीं.... तुम बैठो हमें देर हो जाएगी...।।।। 

सपना:- मैने कहा बाईक साईड में खड़ी करो...।।। 

चन्द्र:- लेकिन... सपना.... 

सपना:- खड़ी करते हो की नहीं...।। 

चन्द्र:- ओके मैडम.... ये लो...।।।। 

सपना ने अपने दुपट्टे को किनारे से फाड़ा और चन्द्र के हाथ पर बह रहें खून पर बांध दिया...।।।। 

चन्द्र:- ये क्या किया....???? 

सपना:- ये मेरी निशानी समझकर अपने पास रखना बस....अभी तुम पीछे बैठो मैं बाईक चलाती हूँ...।। 

चन्द्र:- तुम्हें बाईक चलाने आतीं हैं...!! 

सपना:- हां... घबराओ मत... शहर में मैने कार भी चलाई हुई हैं... तुम बैठो...।।।। 

चन्द्र पीछे बैठा और सपना ने बाईक स्टार्ट की और कुछ ही समय में वो दोनों हिम्मतपुर पहूंच गए....।।।।। 

हिम्मतपुर पहुँच कर सपना चन्द्र को बाय कहकर जाने लगीं तो चन्द्र ने रोका और कहा:- रुको सपना...!!! ऐसे ही चली जाओगी...!! क्या मुझसे दुबारा कभी नहीं मिलोगी...!! 

सपना:- चांद.... वो आज जो कुछ भी हुआ.... वो.... उसके बाद.... मैं..... मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा..... 

चन्द्र सपना के पास गया:- सपना क्या जो हुआ उससे तुम खुश हो...!!! 

सपना:- चांद वो.... वो मैं..... 

सपना अपनी नजरें नहीं मिला पा रही थी...।। 

चन्द्र ने अपने दोनों हाथों से सपना का चेहरा पकड़ कर कहा.... नजर चुराकर नहीं.... मिलाकर बात करो... क्या तुम खुश हो....!!! 

सपना ने कुछ जवाब नहीं दिया बस चन्द्र को गले लगा लिया.... उसने कसकर चन्द्र को अपने सीने से लगा लिया....।।। चन्द्र ने भी उसे अपनी बांहों में भर लिया...।।।। कुछ पल दोनों ऐसे ही एक दूसरे के गले लगे रहें....।।। फिर सपना अपने आप को दूर करते हुए बोली:- चांद अपना फोन नम्बर नहीं दोगे...!!! 

चन्द्र मुस्कुराया और उसने अपना नम्बर सपना को दिया और कहा:- संभालकर जाना और घर पहुंचते ही मुझे फोन करना मैं भी चलता हूँ अभी.... बाय...।।।। 

सपना भी नम्बर लेकर चन्द्र को बाय बोलकर वहाँ से चली गई...।।।। 

चन्द्र कुछ देर वही खड़ा होकर बस उसे देखें जा रहा था.... फिर उसने अपनी बाईक स्टार्ट की और अपने घर पहुंचा...।।।। 


कौन थी सपना.... 
क्या होगा इन दोनों के प्यार का अंजाम... क्या चन्द्र अपने घरवालों को मना पाएगा....।।।।। 

जानते हैं अगले भाग में....।।।।।। 



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