अरे सरस्वती... जल्दी कर आठ बजने वाले हैं....।।।
सारे मवेशियों को बाड़े में डाल दे..।।।
सरस्वती:- हांजी वही कर रही हूँ...।।
दिनकर:- जल्दी भीतर आ जा.... और सुन लालटेन में तेल अच्छे से डालकर आना...।।।
सरस्वती:- हां जी....।।।। आप तब तक भीतर लालटेन जला दिजिए...।।।
(कुछ ही मिनटों में सारा गाँव लालटेन की रोशनी से झिलमिला उठा...।।।।
आज कोई दिपावली नहीं थी....।।।।। हिम्मतपुर में ये तो हर रोज होता था...।।।।। आठ बजने से पहले ही पुरा गाँव एक दम सुनसान हो जाता था और हर घर के भीतर और बाहर लालटेन की रोशनी होती थी....)
सरस्वती:- अजी सुना हैं कल वो कुंएं के पास फिर से रमेश के बेटे ने उस चुड़ैल को देखा हैं....!!
दिनकर:- हां सुना तो मैंने भी यही हैं.... गाँव वाले तो बता रहे थे की रमेश का लड़का कुछ बोल ही नहीं पा रहा हैं....।।
सरस्वती:- पता नहीं हमारे गाँव से कब उस चुड़ैल का साया जाएगा...।।
दिनकर:- सुना हैं ये चुड़ैल हर साल अपना ठिकाना बदलती हैं.... पर अपने गाँव से तो जाने का नाम ही नहीं ले रही... कब तक ऐसे डरकर.... घर में बैठेंगे.. पंचायत भी तो कुछ सख्त कदम नहीं उठा रही...!!!
सरस्वती:- अजी जान सबको प्यारी होती हैं... फिर वो सरपंच हो या कोई भी हो.... डर तो सबको लगता हैं ना...।।
दिनकर:- अरे तुमने चन्द्र को तो बोल दिया था ना की दोपहर तक आ जाए....??
सरस्वती:- हां जी.... वो मेरा भी बेटा हैं मुझे भी उसकी फिक्र हैं... मैंने उसे दोपहर में तीन चार बजे तक आने को कह दिया हैं... और फिर अपनी बाईक पर हैं तो समय पर आ ही जाएगा.... बस में होता तो फिक्र लगी रहती...।
दिनकर:- हां ये उसने अच्छा किया की खुद की गाड़ी ले ली...।। चलो अभी सो जाओ....।। कल बेटा आ रहा हैं पूरे 21 महीनों बाद तो तुझे तो बहुत तैयारियां करनी होगी....।।
सरस्वती मुस्कुराते हुए:- क्यूँ जी... सिर्फ मेरा बेटा हैं क्या...???
दिनकर:- अरे लाडला तो तुम्हारा हैं ना....!!
सरस्वती:- जाओ जी... एक का एक बेटा हैं.... लाडला तो होगा ना... और अब तो इस बार उसकों शादी के लिए तैयार करके रहूंगी... आप देखना...।।
दिनकर:-भगवान करे ऐसा ही हो... चलो अभी सो जाओ... मैं एक बार बाहर भाड़े मे देखकर आता हूँ...।
ऐसा कहकर दिनकर भाड़े की तरफ़ आया... सब कुछ नार्मल देखकर वापस भीतर आया और सो गया...।।
आखिर क्या रहस्य था उस चुड़ैल का...??
क्या चन्द्र समय पर घर आ पाएगा..??
जानते हैं अगले भाग में... ☠️💀👽