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भाग 3

13 नवम्बर 2021

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घर पहुंचते ही.... 
सरस्वती:- कितनी देर कर दी तुने चन्द्र..... तेरा फोन क्यूँ नहीं लग रहा हैं... तुझे पता भी हैं कितनी चिंता हो रही थी हमें... अरे समय तो देख.... तुझसे कहा था ना जल्दी आ जाना.... 

चन्द्र:- अरे माँ बस..... आ गया ना.... सही सलामत.... माँ बाईक चला रहा था इसलिए फोन बंद कर दिया था....।।।। 

सरस्वती :- चन्द्र ......... ये हाथ में पट्टी क्यूँ बांधी हैं... और ये कपड़े मिट्टी वाले..... क्या हुआ था बेटा.... बता मुझे....।।।। 

चन्द्र:- अरे कुछ नहीं माँ... वो गाँव के पास कच्ची सड़क पर बैलेंस बिगड़ गया था तो गिर गया था....।।।।।। वहाँ पास में ये कपड़ा पड़ा तो बांध दिया.... थोड़ी चोट लगी थी ना हाथ में इसलिए....।।।। 

सरस्वती:- शहर में रहता हैं... लेकिन अक्ल एक पैसे की भी नहीं.... ऐसे कोई भी कपड़ा चोट पर बांधते हैं क्या... चल उतार कर फेंक इसको बाहर मैं.... अभी घाव साफ करने की दवाई और साफ पट्टी लाती हूँ....।।।।। चल खोल इसे मेरा मुंह क्या देख रहा हैं....।।। 

चन्द्र :- हां माँ..... आप ले आओ तब तक मैं खोलता हूँ....।।।। 
चन्द्र जब उसे खोल रहा था तो.... उसके कानों में सपना के कहें लब्ज़ घुम रहें थे.... " इसे मेरी निशानी समझकर रखना.. "
चन्द्र उसके ख्यालों में ही खोया हुआ था की.... उसकी माँ आई और उसने चन्द्र के हाथ से तुरंत वो कपड़ा खोलकर बाहर फेंक दिया..... और कहा :- ना जाने कब अक्ल आएगी तुझे.... 

चन्द्र:- माँ ये क्या किया आपने.... वो बाहर क्यूँ फेंका.... 

ऐसा कहकर चन्द्र भाग कर बाहर गया और वो कपड़ा फिर से ले आया....। 

सरस्वती:- चन्द्र.... ये क्या कर रहा हैं तू.... अरे ऐसे रस्ते पर रखा हुआ कोई भी कपड़ा बांधते हैं क्या.... और बाहर से वापस उठा कर लाना.... ये क्या पागलपन हैं बेटा....!!! 

चन्द्र:- वो माँ हमारे यहाँ शहर में ऐसे सड़क पर कोई भी चीज़ नहीं फेंक देते.... उसे अलग से डब्बे में डालकर रखते हैं फिर वो सफाई करने वाले आतें हैं ना उनकों देते हैं...... तो इसलिए वो मैं ऐसे भागा.... 

सरस्वती हंसते हुए:- ये तेरा शहर नहीं.... गाँव हैं बेटा.... शहर की यादों से अब बाहर आ जा....।। 

चन्द्र:- हां माँ.... धीरे धीरे पड़ जाएगी आदत भी...।।। 

सरस्वती चन्द्र के हाथ पर पट्टी बाँधते हुए:- आदत तो डालनी पड़ेगी बेटा.... क्योंकि इस बार तु तुझे मैं ऐसे नहीं जानें दुंगी... तेरे लिए एक से बढ़कर एक रिश्ते ढुँढ कर रखें हैं....।।। 

चन्द्र:- क्या माँ.... आप फिर शुरू हो गई..... पहले कुछ अच्छा सा खिला तो दो.... फिर ये सब बातें करेंगे....।।।। और माँ बाबा कहाँ हैं....???? 

सरस्वती:- वो रमेश के घर गए हैं..... बस आतें ही होंगे..... 
ये लो नाम लिया और आ गए....।।।। बहुत देर कर दी आपने....।।।। 

( दिनकर के घर में आतें ही चन्द्र उठा और उनके पांव छुए) 

दिनकर:- खुश रहो बेटा.... ये हाथमें क्या हुआ बेटा......??? 

चन्द्र:- कुछ नहीं बाबा... वो बस ऐसे ही... ।।। 

सरस्वती:- सुनिए आप जल्दी से हाथ धोकर आइये  ... मैं खाना लगा लेती हूँ.... चन्द्र को भी भूख लगी हैं....।।।। 

दिनकर :- हां... 

कुछ पल में ही तीनों जमीन पर बैठकर खाना खाने लगे.... 
खाना खाते खाते सरस्वती:- कैसा हैं अभी.... रमेश का बेटा..!!! 

दिनकर:- मत पूछो.... सरस्वती..... पता नहीं क्या हो गया हैं उसे.... कभी तो बिल्कुल सही... कभी फिर अचानक...।।।। 

चन्द्र:- क्या हुआ बाबा.... किसकी बात कर रहे हैं आप....?? 

दिनकर:- अरे वो रमेश का लड़का हैं ना....!! 

चन्द्र:- कौन वो बिरजू....!!! 

दिनकर:- हां वही..... उसकी तबीयत ठीक नहीं थी.... उसे ही देखने गया था...।।। 

चन्द्र:- क्या हुआ हैं उसे..?? 

सरस्वती:- चुड़ैल का साया आ गया है उस पर... 

चन्द्र मुस्कराते हुए:- क्या माँ.... ये कौनसी बिमारी होती हैं...।।।। 

सरस्वती:- हां तू तो हंसेगा ही ना.... शहर में जो रहता हैं.... हमारी बात कहाँ से मानेगा...।।। लेकिन ये मजाक नही हैं बेटा.... सच हैं...।।।।। 

चन्द्र:- माँ मैं ये सब नहीं मानता... ये सब बकवास बातें हैं...।।। 

दिनकर:- अरी सरस्वती.... क्या तु भी... कही भी शुरू हो जाती हैं.... अरे आज ही तो आया हैं बेटा... उसे खिला पिला.... आराम करने दे.... ये सब बातें बाद में होती रहेंगी...।।। बस बेटा.... एक बात का ख्याल रखना.... रात को आठ के बाद कहीं बाहर मत जाना..... चाहे कितना भी जरूरी क्यूँ ना हो.... भले ही तु ये सब नहीं मानता... पर हमारी तसल्ली के लिए ही सही...।।।। 

चन्द्र:- ठीक हैं.... बाबा..... आज तो मैं वैसे भी बहुत थक गया हूँ.... मेरा खाना हो गया.... मैं तो सोने जा रहा हूँ...।।।।। 

चन्द्र अपने कमरे में चला गया... कमरे में आते ही उसने अपनी जींस की जेब से सपना के दूपट्टे का वो  टुकड़ा निकाला और कुछ पल उसे ऐसे ही देखता रहा....।।।। 

अपने बिस्तर पर लेते हुए वो बस अपनी और सपना की मुलाकात के बारे में सोचें जा रहा था.... उसका वो बाईक पर बैठना.. वो गिरना.... वो पास आना.... सोचते सोचते उसे कब आंख लग गई पता ही नहीं चला....।।।।। 

रात के तकरीबन बारह बजे होंगे..... 

अचानक चन्द्र के मोबाइल फोन पर किसी का फोन आया... चन्द्र हड़बड़ा कर उठा.... 

उसने फोन उठाकर अधखुली आंखों से बोला :- हैलो.... कौन...!! 
सामने से आवाज आई:- ये तो गलत बात है चांद..... हमारी नींदें चुराकर आप.... सुकून से सो रहे हैं....।।।। 

चन्द्र आवाज सुनते ही उछलकर बैड पर बैठ गया..... :- तुम.... तुम..... वो..... मैं..... सपना....... वो..... 

सपना:- हां जी मैं..... हमें तो यहाँ नींद ही नहीं आ रही हैं.... और आप..... 

चन्द्र:- मेरा भी हाल ऐसा ही हैं सपना...... बंद आंखों से भी डस तुम्हारे ही सपनों में खोया हुआ था....।।। 

सपना:- अच्छा जी..... क्या देखा फिर सपनों में .... वो तो बताईये...!! 

चन्द्र:- मिलकर बताउँगा.... कब मिल रही हो बताओ.....। 

सपना:- अभी..... आ पाओगे....!! 

चन्द्र:- अभी...!!!! 

सपना:- हां चांद.....अभी..... सच में...... मुझे बहुत याद आ रही हैं..... मैं आपको देखना चाहती हूँ..... प्लीज....।।।।। 

चन्द्र:- याद तो मुझे भी आ रही हैं.... पर...... 

सपना:- पर क्या.....? 

चन्द्र:- वो बाबा ने मना किया हैं..... रात को बाहर निकलने से..... वो यहाँ.... 

सपना:- ओहह तो तुम भी उस चुड़ैल में विश्वास करते हो ऐसा.... ठीक हैं तुम मत आओ..... मैं विश्वास नहीं करती.... नाही डरती हूँ.... मैं आ जाती हूँ..... तुम्हारे घर......। 

चन्द्र:- अरे नहीं नहीं..... विश्वास तो मैं भी नहीं करता.... पर माँ बाबा हैं ना..... सुनो हम कल मिलतें हैं ना वो गाँव के बाहर जो पहाड़ी है ना उसके पीछे....।।।।। 

सपना:- चन्द्र...... तुम कल आ जाना.... अभी मैं आ जाती हूँ...।।।।। 

चन्द्र:+ नहीं सपना..... तुम मत आओ..... मैं आता हूँ..... बोलो कहाँ मिलना हैं...।।।।।। 

सपना:- थैक्यु चन्द्र.....।।।। 

सपना ने उसे पता बताया..... और चन्द्र अपने घर से चुपचाप..... छिपकर बाहर निकल गया....।।।।। 

पुरे गाँव में गहरा सन्नाटा छाया हुआ था..... दूर दूर तक कोई नहीं दिख रहा था.... हर घर के बाहर लालटेन होने की वजह से बाहर अंधेरा इतना नहीं था..... चन्द्र आसानी से रास्ता देख पा रहा था.....।।।। 

कुछ ही मिनटों में चन्द्र उस जगह पहुंचा जहाँ सपना ने उसे बुलाया था....।।।। चन्द्र को देखते ही सपना दौड़ती हुई उसके पास आई और चन्द्र के गले से लग गई...... चन्द्र ने भी उसकों कसकर गले से लगा लिया.... दोनों एक दूसरे की बांहों में खोए हुए थे.... कुछ मिनटों तक ऐसे ही एक दूसरे से बिना कुछ बोले दोनों एक दूसरे से लिपटें रहें.....।।। 

चन्द्र गले से लगते हुए:- सपना.... एक बात बोलूं...! 

सपना :- हां बोलो ना.... चांद...।।। 

चन्द्र:- तुम बुरा तो नहीं मानोगी ना....!! 

सपना:- नहीं..... कभी नहीं...।। 

चन्द्र ने उसे अपनी बांहों की गिरफ्त से बाहर किया और सपना की आंखों में आंखें डालकर कहा:- आइ लव यू सपना.....।।। 
फिर चन्द्र ने उसके माथे को चूमा और फिर से उसे अपनी  बांहों में भर लिया.....।।।। 

सपना :- आइ लव यू टू चांद.....।।।।।। 

चन्द्र और सपना दोनों ऐसे ही गले लगे हुए थी.... 

चन्द्र की आंखों में हजारों सपनें तैरने लगे थे.... वो अपने आने वाले भविष्य को लेकर बहुत खुश हो रहा था....।।।। 

वही दूसरी ओर सपना के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी..... वो चन्द्र के गले लगीं हुई थी पर उसकी मुस्कान कुछ ओर ही बंया कर रहीं थी...।।।।।।। 

अचानक से सपना का खुबसूरत चेहरा भी एक दम डरावने और भयानक चेहरे में बदल गया.... लेकिन चन्द्र इस बात से बिल्कुल अंजान था...... वो नहीं जानता था की वो जिसके साथ अपनी जिंदगी के ख्वाब सजा रहा हैं असल में वो एक चुड़ैल हैं.....।।।।।। 

(सपना मन ही मन फंस गया ये भी मेरी खुबसरती के जाल में.... अब देख क्या करतीं हूँ मैं..... तुम सब से बदला लूंगी.... अपनी हर बेज्जती का...) 

चन्द्र:- क्या हुआ सपना तुम कुछ बोल क्यूँ नहीं रही....।।।।। 

सपना फिर से अपने खुबसूरत रुप में:- चांद.... क्या तुम मुझसे शादी करोगे...!!! 

चन्द्र ने उसे अपने सामने किया और कहा:- तुमने तो मेरे दिल की बात बोल दी सपना.... मैं खुद तुम्हारे साथ अपनी आने वाली जिंदगी जीना चाहता हूँ.... मैं कल ही अपने बाबा से बात करता हूँ....।।।।। 

सपना:- चांद..... शादी की बात करने से पहले मै तुमसे बहुत सारी बातें करना चाहतीं हूँ.... तुम कल दोपहर को तीन बजे पहाड़ी के पीछे आना..... उसके बाद अपने परिवार से बात करना....।।।।।। 

चन्द्र:- ठीक है सपना.... जैसा तुम कहो....।।।। 

सपना:- थैंक्यू यू चांद....अभी तुम घर जाओ.... कल मिलतें हैं....।।।। 

चन्द्र:- एक मिनट सपना.... 

सपना:- क्या हुआ....? 

चन्द्र ने सपना के गालों पर  किस किया और कहा अब चलता हूँ....।।।।। 

चन्द्र मुस्कूराता हुआ अपने घर आ गया.... घर पर उसके पेरेंट्स इन सब से अंजान थे.... चन्द्र चुपचाप अपने कमरे में गया और फिर से सपना के ख्यालों में खो गया.....।।।।।।। 



क्या चन्द्र को सपना की असलियत पता चल  पाएगी....????? 
क्या करेगी सपना चन्द्र के साथ.....?? 


जानते हैं अगले भाग में....।।।।।। 


जय श्री राम..... 🙏🙏


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