8 मार्च 2022
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जीवन की राहों में यह किस्सा बड़ा अजीब थाछोटी सी उम्र में वह तजुर्बे के बहुत करीब थाघर की बागडोर में भूल गया वह अपनी खुशियांजीवन रूपी पतंग में बांध उसने उड़ा दिए अपने सपनेदेखे घर वोया देखे घर क
आज मैं बेटी से बहु बनने तक का सफर निभाऊंगीसोहल श्रृंगार कर सुसारल को जाउंगीपिता के सर का ताज हूंअब ससुराल का मान कहलाऊंगीपिता से थी मेरी पहचानअब पति के उपनाम को अपनी पहचान बताउंगीमाँ की रही हूं हमेशा
आओ बच्चो तुम्हे सुनाऊ कहानी हिंदुस्तान कीयह धरती है वीरो के बिलदान कीआओ बच्चो तुम्हे सुनाऊ.......बिना डरे जो बढ़ चले वही भारत के वीर जवान हैना देखे सर्दी-गर्मीना देखे घर परिवार हैतभी तो देखो
एक ही माता-पिता की हम है संतानफिर क्यों भेदभाव कर के हमे मिलती है अलग पहचान।नौ महीने वो पालती है कोख में लड़की-लड़के को एक समानदर्द भी सहती है समान तब क्यों लड़की लड़के को दी जाती है अलग-अलग पहच
हम बुरे ही सहीतुम ही अच्छे बन कर दिखा देतेअंतिम बार ही सही एक बार तो गले लगा लेतेपता था सब एक जैसे होते हैकाश तुम ही मेरा यह भरम मिटा देते
आज अयोध्या नगरी प्यारा लागेअयोध्या वासी नाचन लागे होआज अयोध्या नगरी प्यारा लागे होमाँ कौशल्या के हुए है ललनामाँ कौशल्या लुटाए है कंगनाराजा दशरथ बजवाये है बजनवा होरानी आये है लेने ललनाराजा दशरथ लुटाए ह