एक ही माता-पिता की हम है संतान
फिर क्यों भेदभाव कर के हमे मिलती है अलग पहचान।
नौ महीने वो पालती है कोख में
लड़की-लड़के को एक समान
दर्द भी सहती है समान
तब क्यों लड़की लड़के को दी जाती है अलग-अलग पहचान
भाई को भी छाती से लगाया
मुझे भी तो गोद मे है सुलाया
रात में उठ-उठ कर हमदोनो को है खाना खिलाया।
माँ ने तो हमे प्यार किया है एक समान
फिर क्यों समाज ने किया हमारे में भेदभाव
दे दी हमे अलग-अलग पहचान
थोड़े बड़े हुए तो सबने टोका
लड़कियों को बाहर जाने से रोका
गुड़िया से खेलो
खाना पकाओ
लड़की हो बाहर न जाओ
क्या लड़को को है पूरी आजादी
जो है लड़कियों पर भारी
न ज्यादा तुम पढ़ना-लिखना
इसमे न सम्मान है
पति के पैरों में झुकना यही तुम्हारा सम्मान है।
इसलिए समाज ने किया भेदभाव है
लड़के लड़की को इसलिये दी गई पहचान है।
रुको
ये समाज के लोगो
न हमे चाहिए तुम्हारी पहचान है
मेरे परिवार में लड़की लड़का एक समान है।