जो पाप-पुण्य से सदा परे है,
जो लाभ-हानि से है अविचल।
सुख-दुख जिसके सदा बराबर,
जन्म-मरण में है सम वो तो।
जिसका ना है मान, ना अपमान
कर्मयोग में लगा है जो, वही है हनुमान ।
आ उठ चल अब दौड़ लगा,
छोड़ के सारे तू अभिमान।
कर्म तू कर ना फल की चिंता,
ना कर इच्छा सम्मान की।
कुछ बन ऐसा जो सदा अमर हो,
कुछ कर ऐसा जो रहे अमिट।
कर तेरा कद इतना ऊँचा,
ना बचे कोई भी जहाँ ।
फिर कम होगी ये धरती,
और छोटा होगा वो आसमान।
कर्मयोग को धारण कर,
बन जा तू हनुमान।
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जय श्री राम.
फोटो क्रेडिट : यश मिश्रा