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उद्यमेन हि सिध्यंति कार्याणि न मनोरथै:।

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जीवन के सफर में कुछ चंद लम्हें शब्दों में पिरो कर इस पेज में प्रस्तुत कर रहा हूँ . आशा है की आपको पसंद आएगा

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वो आखिरी लोकल ट्रैन - भाग 2

24 अगस्त 2017
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पिछले भाग में एक साधारण सा व्यक्ति नरेंद्र अपने घर जाने के लिए ट्रैन पकड़ता है लेकिन जब वो उठता है तब वह अतीत के नरसंहार को सामने पाता है जो अंग्रेज कर रहे थे| वो चार अंग्रेजों को मार कर नरसंहार को रोक देता है लेकिन बेहोश होते-होते बागियों के हाथ लग ज

वो आखिरी लोकल ट्रेन

23 अगस्त 2017
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शुक्रवार की वो सुनसान रात जहाँ लोग रात के ९ बजे से ही घर में दुबक जाते हैं, वहाँ रात ९ बजे से ही कब्रिस्तान जैसा सन्नाटा छा जाता है। कड़ाके की इस ठंड में हड्डियाँ तक काँपने लगती हैं, बाहर इंसान तो क्या कुत्ते का बच्चा भी नजर नहीं आता फिर भी कुत्तों के रोने की आवाज़ क

सारी उम्र कुंवारा रहा

22 अगस्त 2017
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ना मैं उसका रहा और ना मैं तुम्हारा रहा,तेरे इश्क़ में ऐ सखी सारी उम्र कुंवारा रहा कभी मेरे दिन तो कभी मेरी रातें,दे दी सब तुम्हे न कुछ हमारा रहा

नुक्कड़ वाला मकान

20 अगस्त 2017
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गली के नुक्कड़ पर जो वो मकान है, सारे मोहल्ले के मनोरंजन का सामान है,जो भी वहाँ से निकले वह रह जाए हक्का बक्का, बेलन लग गया तो चौका नहीं तो छक्का!!

लम्बा नाम

15 जुलाई 2017
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ट्रेन में एक आदमी सबके छोटे नाम का मजाक उड़ा रहा था तभी वो मुझसे बोला - “हैलो मेरा नाम चंद्रशेखरन मुत्तुगन रामस्वामी पल्लीराजन भीमाशंकरन अय्यर! ….. और आपका नाम?”“नरेन्द्र” मैंने जवाब दिया तो वो हँसते हुए बोला “हमारे यहाँ इतना छोटा नाम किसी का नहीं होता”! मैंने जवाब दि

बम बम भोलेनाथ

10 जुलाई 2017
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जो पाप-पुण्य से सदा परेजो जन्म-मृत्यु से सदा महान,सुख भी उसका, दु:ख भी उसकासबको देखे एक समानजो पीकर अपमान का बिष, दे सबको जीवन का वरदानखुद रहकर शमशान में जोसोने की लंका दे दे दान जटा में जिसकी गंगा की धाराहै जिससे यह संसार साराहै काल भी

प्रेम महान है

2 जुलाई 2017
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प्रेम अनंत है, प्रेम अपार है प्रेम ईश्वर है, प्रेम साकार हैप्रेम सत्य है, प्रेम साधना हैप्रेम ईश्वर की आराधना है प्रेम सुगंध है, प्रेम चन्दन हैप्रेम सुख का अभिनन्दन हैप्रेम हृदय है, प्रेम स्पंदन है प्रेम विरह का करुण क्रंदन हैप्रेम चन्दन है, प्रेम पानी है प्रेम जीवन

बन जा तू हनुमान

11 अप्रैल 2017
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जो पाप-पुण्य से सदा परे है, जो लाभ-हानि से है अविचल।सुख-दुख जिसके सदा बराबर, जन्म-मरण में है सम वो तो। जिसका ना है मान, ना अपमान कर्मयोग में लगा है जो, वही है हनुमान । आ उठ चल अब दौड़ लगा, छोड़ के सारे तू अभ

वो अाँखों में तूफ़ान रखते हैं

4 अप्रैल 2017
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वो सीने में आग, दिलों में तूफ़ान रखते हैं, अपने बुलंद हौसलों से झुकाकर आसमान रखते हैं नहीं कोई मुश्किल बड़ी उनके आगे वो संकट से लड़ने का हर सामान रखते हैं किसी मोड़ पर जो ठिठक

सामने ही सवेरा था

25 मार्च 2017
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वो रात घनी थी, चारों तरफ़ अंधेरा था निराशा की सर्द स्याही​ में, रास्ता घनेरा था वक्त के बेदर्द थपेड़ों से, बिख़रा मेरा बसेरा था ना बिखरे मेरे सपने, ना टूटा मेरा हौसला समेट

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