14 सितम्बर 2021
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फिल्हाल गुमनाम ...D
वाहह सुंदर शायरी ।
टिप्पणी का हार्दिक धन्यवाद आपका 🙏
<div>म़ैं तो ख़ुद ही उतावला था बरबाद होने को ..</div><div>शायद तेरे ही हुस्न की कोई कमी रहीं हीगी ..<
<div>वो बड़े उत्साह से उसकी पोस्ट पर टिप्पणी लिखा करती थी ..कि हो सकता है़ वो इन्हीं टिप्पणी के माध्य
<div>फॉरमेलिटी से शुरू होकर फॉरमेंलिटी पर ख़त्म होने वाले सफ़र का नाम ईश्क है़ 🌹🌹</div>
<div>तुम्हें क़ातिल कहकर मैंने क्या ग़लत कहा ..</div><div>तुम आये क़त्ल करके और गये क़त्ल करके .. <
<div>किससे कहते ये अपने दिल की बात हम ..</div><div>इसलिए करवटें बदलते रहे सारी रात हम ...</div
<div>किसी के साथ जीने के लिये ..</div><div>पहले मुझे उस पर मरना पड़ा ...</div>
<div>वो जो ऑनलाइन दूसरों के बाबूओं को जिमाता है़ ..</div><div>उसका ख़ुद का बाबू बेचारा भूँखा ही
<div>ईश्क में सभी बरबाद हुऐ हैं आज तक मोहन ..</div><div>फ़िर भी हर कोई ईश्क करने पे उतारू क्यू
<div>दिल कांच सा था तौ हर कोई तोड़ देता था ...</div><div>पत्थर हो गया तौ अब कोई टकराता नह
<div>मौत आने से पहले तुम ये बता दो हम कैसे मरें ...</div><div>ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं हम क्या
<div>मैंने भी उसे रोका नहीं जाने से ...</div><div>कोई अपना होता तौ रोकते ..</div>
<div>ईश्क कोई किससे कितना छुपायेगा ..</div><div>दीवाना सैंकड़ों में पहचाना जायेगा ..</div>
<div>दिल टूटने का ग़म कभी नहीं हुआ मुझको ..</div><div> दर्द बस यही कि जिसे दिया उसी ने तोड़ा ..</
<div>अपना कोई भी जब वक्त पर काम ना आया है़ ..</div><div>तौ सहारों ने बेसहारा जीने का हुनर सिखा