तिरंगे का अपमानकरने वाले कौन थे ?डॉ शोभा भारद्वाज 26 जनवरी की शाम ,हमारे एरिया में सब्जी वाले सब्जीबेचने आये उन्होंने मुझे देखा घेर कर खड़े हो गये उनके चेहरे से दुःख साफ़ झलक रहाथा सब एक साथ बोलने लगे आंटी जी आज का दिन हम कभी नहीं भूल सकते 26 जनवरी कैसाहंगामा मचाया है, लाल किले पर से हमारा तिरंगा झंडा
वज़्न--212 212 212 212 अर्कान-- फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन, बह्रे- मुतदारिक मुसम्मन सालिम, क़ाफ़िया— लुभाते (आते की बंदिश) रदीफ़ --- रहे"गज़ल"छोड़कर जा रहे दिल लुभाते रहेझूठ के सामने सच छुपाते रहे जान लेते हक़ीकत अगर वक्त कीसच कहुँ रूठ जाते ऋतु रिझाते रहे।।ये सहज तो न था खेलना आग सेप्यास को आब जी भर प