
तिरंगे का अपमान
करने वाले कौन थे ?
डॉ शोभा भारद्वाज
26 जनवरी की शाम ,हमारे एरिया में सब्जी वाले सब्जी
बेचने आये उन्होंने मुझे देखा घेर कर खड़े हो गये उनके चेहरे से दुःख साफ़ झलक रहा
था सब एक साथ बोलने लगे आंटी जी आज का दिन हम कभी नहीं भूल सकते 26 जनवरी कैसा
हंगामा मचाया है, लाल किले पर से हमारा तिरंगा झंडा उतार कर फेक दिया एक पीला सा
झंडा लगा दिया क्या लाल किले पर इनका कब्जा हो गया . नहीं कब्जा नहीं है हाँ देश
विरोधी काम किया है .वह भावुक होकर बोले बड़ी मुश्किल से आजादी मिली थी हमने तो आजादी की
लड़ाई नहीं देखी हमारे बड़े बूढ़े बताते है फिरंगी लुटेरे थे ,चाहे सूखा पड़े या बाढ़ लगान
जबरदस्ती बसूलते थे. देश का तिरंगा झंडा
फेक कर बहुत बुरा किया .झंडे को तोपों की सलामी दी जाती है और भी कई लोग सब्जी
खरीदने आये थे सब्जी वालों की बातें सुनने लगे एक ही चर्चा थी दिल्ली को मजाक बना
दिया जिसका बस चलता है दिल्ली घेर कर बैठ जाते हैं शानदार टेंट मोटे – मोटे कम्बल
बढ़िया खाना पेड़ काट –काट कर जला रहे हैं .आप लोग सोच नहीं सकते हम कितनी मुश्किल
से सब्जी लाते हैं .
एक ने कहा हमारे
गावँ के शहीद का शव आर्मी वाले लाये बड़ी इज्जत से कंधा दिया शहीद तिरंगे में लिपटा
था शहीद को सल्यूट किया सम्मान से तिरंगा तह कर शहीद की विधवा को सौंपा आप सोच
नहीं सकते कितनी भीड़ थी दूर – दूर गाँव के लोग नारे लगाते आये थे . शहीद के पांच
बरस के लड़के ने रोते हुए पिता को अग्नि दी थी हम सब लोग रो रहे थे .
मैने कहा झंडे का
अपमान करने वाले किसान नहीं हो सकते ,क्या कह रही हैं आंटी जी बिदेश से नहीं आये थे हमारे देश के
किसान के छोरे(लड़के ) थे ट्रैक्टर ऐसे घुमा रहे थे जैसे तोप पर बैठे है पुलिस
वालों को दबाने की कोशिश कर रहे थे लाल किले पर चढ़े तोड़ फोड़ करने वाले भी किसान थे
ज्यादातर पगड़ी वाले तलवार चला रहे थे .आंटी जी ज्यादातर पुलिस वाले भी किसानों के
बेटे हैं जिगरे वाले लोग है एक गोली नहीं चलाई अपने पर लाठी तलवारें झेली हैं .असली
किसान अपने खेतों में काम कर रहे हैं गन्ने की कटाई चल रही है ,गेहूं चना सरसों के
खेतों में फसलों को समय पर पानी देते हैं निराई करते हैं उनके पास टाईम कहां हैं यहाँ
तो पेट भरे किसान आयें हैं . एक ने बताया फसलों की कटाई के समय हमारे बिहार से लड़के
पंजाब जाते है आप सोच नहीं सकती इनके पास कितनी जमीनें हैं .बात करने वाले ‘जन
साधारण लोग हैं देश के मतदाता’ अपनी राजनीतिक रोटियाँ वाले राजनीति चमकाने वालों
को नाम और शक्ल से पहचानते थे .तिरंगे का अपमान हमारी सेना का जवान तिरंगे के लिए
लड़ता है , लालकिले पर चढ़े उपद्रवियों, तोड़ फोड़ करने वालों महिला पुलिस , पुलिस पर
लाठी बरसाने वालों पर क्रोधित थे. वह फुंकार रहे थे हम एक घटे में बार्डर पर बैठो
के तम्बू बम्बू उखाड़ सकते हैं .
सीमा पर मुस्तैद खड़े हमारे सैनिक आये दिन
पाकिस्तान की तरफ से गोलाबारी झेलते हैं ख़ास कर त्योहार के दिन या राष्ट्रीय दिवस
पर शहादत आम है . पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में निरंतर आतंकी जेहादी भेजता है उनसे सुरक्षा बलों की निरंतर मुठभेड़ होती रहती है .एलएसी
पर जहाँ आजकल माईन्स तीस तक टेम्प्रेचर , बर्फ ही बर्फ है अकसर चीनियों से सीने से
सीना टकराती झड़पें होती रहती है . चीन से भारत की सीमा पांच राज्यों से
जुड़ती है इनमें जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं लगभग करीब 4057 किलोमीटर सीमा
आये दिन वार्तायें होती है लेकिन बेनतीजा . बंगलादेश की सीमा से भारत में घुसने
वाले घुसपैठियों को रोकना सेना हर मोर्चे पर देश की रक्षा के लिए तत्पर .
देश के अंदर अपने लोग पहले शाहीन बाग़ की
तर्ज पर महिलायें बच्चे बिठा कर रास्ते रोके हुए थे अब दिल्ली के बार्डरों पर
किसानों के नाम पर बैठे पंजाब , हरियाणा उत्तरी उत्तर प्रदेश के किसान कम आढ़ती
अधिक है गरीब किसानों के नाम पर जनता की सहानुभूति बटोरने की कोशिश करते सरकार को
धमकाते किसान नेता जिनके दिल में 26 जनवरी और तिरंगे का सम्मान नहीं है इस आन्दोलन
के नाम पर पैसा विदेशों से भी आ रहा है यह तो कठपुतलियाँ है डोर किन्हीं और के
हाथों में है जब तक नचाएंगे नाचते रहेंगे .दिल्ली 40 बार लुटी है कभी सोचा नहीं था
देश आजाद हो गया अपना राज है अब भी हमलावर की तरह पुलिस पर लाठियों , फरसे तलवारों
से वार करेंगे हैरानी हुई निहंगों पर घोड़े पर चढ़े तलवार घुमा रहे थे दिल्ली के लाल
किले पर करतब दिखा रहे थे क्या किसी दुश्मन देश की धरती पर वीरता दिखा रहे थे शर्म
आनी चाहिए .इतिहास इन्हें कभी माफ़ नहीं करेगा .प्रजातांत्रिक व्यवस्था में सब
अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के नाम पर .