हश्र✒️ओस के नन्हें कणों ने व्यंग्य साधा पत्तियों पर,हम जगत को चुटकियों में गर्द बनकर जीत लेंगे;तुम सँभालो कीच में रोपे हुवे जड़ के किनारे,हम युगों तक धुंध बनकर अंधता की भीख देंगे।रात भर छाये रहे मद में भरे जल बिंदु सारे,गर्व करते रात बीती आँख में उन्माद प्यारे।और रजनी को सुहाती थी नहीं कोई कहानी,ज्ञा