shabd-logo
Shabd Book - Shabd.in

अमित की डायरी

अमित

2 अध्याय
0 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
0 पाठक
निःशुल्क

 

amit ki dir

0.0(0)

पुस्तक के भाग

1

शहीद की विधवा

7 जुलाई 2018
0
3
3

शहीद की विधवा✒️वीर रस, जन गण सुहाने गा रहे हैंपंक्तियों में गुनगुनाते जा रहे हैं,तारकों की नींद को विघ्नित करे जोगीत, वे कोरे नयन दो गा रहे हैं।ज़िंदगी की राह में रौशन रही वोमाँग में सिंदूर, सर चूनर बनी थी,रात के अंधेर में बेबस हुई अबजिंदगी की नींव है उजड़ी हुई सी।जोग, ना परितज्य वो भी जानती है,पर निर

2

हश्र

17 मार्च 2019
0
0
0

हश्र✒️ओस के नन्हें कणों ने व्यंग्य साधा पत्तियों पर,हम जगत को चुटकियों में गर्द बनकर जीत लेंगे;तुम सँभालो कीच में रोपे हुवे जड़ के किनारे,हम युगों तक धुंध बनकर अंधता की भीख देंगे।रात भर छाये रहे मद में भरे जल बिंदु सारे,गर्व करते रात बीती आँख में उन्माद प्यारे।और रजनी को सुहाती थी नहीं कोई कहानी,ज्ञा

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए