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हे राम के अध्याय खंड 1 : गांधी मृत्यु की ओर

23 मार्च 2023

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मेरी पसंद जवाहर है

कलकत्ता: रमजान का 17वां दिन

नोआखली: उनकी औरतें सुंदर होती हैं!

ब्रह्मचर्य के प्रयोग

पाकिस्तान मेरी लाश पर बनेगा!

कलकत्ता: प्रतिशोध की ज्वाला

दिल्ली: एक जलता हुआ शहर

गांधी की आखिरी प्रयोगशाला

नेहरू का ‘मुस्लिम बचाओ आंदोलन’

मुसलमान क्यों नहीं गए पाकिस्तान?

सरदार पटेल और मुसलमान

सरदार पटेल की बगावत

अनशन और 55 करोड़ रुपये

जवाहर या सरदार?

गांधी को मरने दो!



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रचनाएँ
हे राम : गाँधी हत्याकांड की प्रामाणिक पड़ताल
4.8
गांधी हत्याकांड का सच सिर्फ इतना भर नहीं है कि 30 जनवरी 1948 की एक शाम गोडसे बिड़ला भवन आया और उसने गांधी को तीन गोली मार दीं। दरअसल, गांधी हत्याकांड को संपूर्ण रुप से समझने के लिये इसकी पृष्ठभूमि का तथ्यात्मक अध्ययन अति आवश्यक है। इस पुस्तक में गांधी की हत्या से जुड़े एक पूरे काल खंड का बारीकी से अध्ययन किया गया है। आज़ादी के आंदोलन का अंतिम दौर, मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की मांग, सांप्रदायिक दंगे, देश का विनाशकारी विभाजन, लुटे-पिटे शरणार्थियों की समस्या, मुस्लिम तुष्टिकरण की पराकाष्ठा, पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये देने के लिये गांधी का हठ, हिंदुओं के मन में पैदा हुआ उपेक्षा और क्षोभ का भाव, सत्ता और शक्ति के लिए कांग्रेस के तत्कालीन नेतृत्व में पड़ी फूट जैसी कई वजहों से गांधी हत्याकांड की पृष्ठभूमि तैयार होती है। गोडसे की चलाई तीन गोलियों की तरह ये सब मुद्दे भी गांधी की हत्या के लिये बराबरी से जिम्मेदार हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि जब-जब गांधी की हत्या की बात होती हैं तो इन मुद्दों पर चुप्पी साध ली जाती है। कभी इस विषय पर भी गंभीर चर्चा नहीं होती है कि “पाकिस्तान मेरी लाश पर बनेगा” ये कहने वाले गांधी ने विभाजन के खिलाफ कोई आमरण अनशन या कोई आंदोलन क्यों नहीं किया? इस पुस्तक में इस मुद्दे पर तथ्यों के साथ चर्चा की गई है। साज़िश की तह तक पहुंचने के लिए पुस्तक के लेखक ने पुलिस की तमाम छोटी-बड़ी जांच रिपोर्ट, केस डायरी, गवाहों के बयान और पूरी अदालती कार्यवाही से जुड़े हज़ारों पन्नों का बहुत ही बारीकी से अध्ययन किया है। कुल मिलाकर इस पुस्तक को मानक इतिहास लेखन की दृष्टि से देखा जाए तो लेखक प्रखर श्रीवास्तव ने प्राथमिक स्रोतों का उपयोग बहुत परिश्रम, सावधानी और समझदारी से किया है।
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गांधी हत्याकांड का सच सिर्फ इतना भर नहीं है कि 30 जनवरी 1948 की एक शाम गोडसे बिड़ला भवन आया और उसने गांधी को तीन गोली मार दीं। दरअसल, गांधी हत्याकांड को संपूर्ण रुप से समझने के लिये इसकी पृष्ठभूमि का

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हे राम के अध्याय खंड 1 : गांधी मृत्यु की ओर

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मेरी पसंद जवाहर है कलकत्ता: रमजान का 17वां दिन नोआखली: उनकी औरतें सुंदर होती हैं! ब्रह्मचर्य के प्रयोग पाकिस्तान मेरी लाश पर बनेगा! कलकत्ता: प्रतिशोध की ज्वाला दिल्ली: एक जलता हुआ शहर गांधी की

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हे राम के अध्याय खंड 2 : मैं मारूंगा गांधी को

23 मार्च 2023
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रामचन्द्र से नाथूराम तक मिस्टर ऐन्ड मिसेज आप्टे संपादक गोडसे, मैनेजर आप्टे जिन्ना को बम से उड़ा देंगे गोडसे ऐन्ड कंपनी गांधी को मरना होगा …और शिकार बच गया वह फिर आएगा पिस्टल नंबर 606824 37

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