हिमांशु पाठक
आप श्रीमान हिमाँशु पाठक मूल रूप से उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित पिथौरागढ़ जिले, में गंगोली हाट स्थित पठक्यूड़ा गाँव से हैं। आप का जन्म अल्मोड़ा में एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार में 14 जुलाई 1970 को हुआ था आपकी सम्पूर्ण शिक्षा उत्तराखण्ड में हुई । आपके पिता श्रीमान हेम चन्द्र पाठक जी,संस्कृत भाषा के व ज्योतिषशास्त्र के प्रकाण्ड विद्विन थे व माता श्रीमती गोविन्दी पिठक एक सरल स्वभाव की साधारण गृहस्थी को सँभालने वाली महिला थी। पाँच भाई-बहिनों में आप सबसे छोटे थे व सबके लाडले रहे हैं। वर्तमान में आप शिक्षण कार्य करते हैं। आप की रूचि बचपन से ही लेखन,गायन अध्धयन व रंगमंच में रही है। आपकी प्रमुख रचनाऐं-: गद्य रचनाऐं-: मैं प्रकृति हूँ,आँखें,जडों से दूर,कुसुमदी, सूर्योदय उत्तराखंड का,ढलता हुआ सूरज,माँ गंगा ने बुलाया है, बचपन आँगन वाला,बचपन डिजिटल दुनिया से पहले,व्यक्ति का निर्माण या व्यक्तिव का निर्माण,काफल का पेड़, एक पुरोधा का अंत,एक मोड़ पर,भोर का तारा,उस मोड़ पर,मधु,वो लड़की,एक था बचपन,दीदी की जुबानी-कुमाऊं की कहानी,वो कौन थी,पाती प्रेम की,आदि। पद्य रचनाऐं-: ढलता हुआ सूरज,वो गरीब की बेटी,एक ही स्थल,दो छोर,युग आयेंगे,गांधारी,एक पुरोधा का अंत,चाय की चुस्की,तेरी यादों के साये में,पथिक,कोई रोता है,जिन्दगी,प्रतीक्षा,बैचैनी,सप्त-शर्त,पथिक,चिट्ठी,दीवार,कृष्ण बने द्वारिकाधीश ,मौन अधरों का,प्रिये तुम्हें में कैसे भूला दूँ,बाजीगरी, डर लगता है,मौन धरों ना,प्रेम के गीत,आज अगर आजाद,भगतसिंह, कोई रोता है,आपकी अदा, चाय पर चर्चा, उम्र अपने निशान छोड़ चली, यादें, अधुरी ख्वाहिश, गाय व गदहा,तू कैसे भूल गया,याद आती हो,यादों की महफिल, फुरसत के क्षण,प्रीत की रीत, काश,हम कब जीते हैं,आग्रह,एक पिता का, मधु-मिलन,सफर यादों का,वेदना,
कुसुमदी
"कुसुमदी ", इंगित करती है एक ऐसी महिला की कहानी जो,करुणामयी हैं, ममतामयी हैं, वसुधैव कुटुंबकम की भावना से ओतप्रोत हैं । जो मनुष्य मात्र के लिए संभाव रखेती हैं । "कुसुमदी" का हृदय बहुत ही विशाल है। आज वो धरा से दूर अंबर पर कहीं हैं पर हम सभी के दिल
कुसुमदी
"कुसुमदी ", इंगित करती है एक ऐसी महिला की कहानी जो,करुणामयी हैं, ममतामयी हैं, वसुधैव कुटुंबकम की भावना से ओतप्रोत हैं । जो मनुष्य मात्र के लिए संभाव रखेती हैं । "कुसुमदी" का हृदय बहुत ही विशाल है। आज वो धरा से दूर अंबर पर कहीं हैं पर हम सभी के दिल
Kavihimanshupathakpahadi
मेरा ये पेज ,आप लोगों के लिये ही है जिसके माध्यम से मैं ,साहित्य की विभिन्न विधा के द्वारा मै आप लोगों के साथ जुड़ सकूँ। व समय पर सामाजिक,राजनैतिक व सांस्कृतिक विषयों के कुछ अनसुलझे पहलुओं को छू सकूँ तथा आपके समक्ष रख सकू।
Kavihimanshupathakpahadi
<p>मेरा ये पेज ,आप लोगों के लिये ही है जिसके माध्यम से मैं ,साहित्य की विभिन्न विधा के द्वारा मै आप लोगों के साथ जुड़ सकूँ। व समय पर सामाजिक,राजनैतिक व सांस्कृतिक विषयों के कुछ अनसुलझे पहलुओं को छू सकूँ तथा आपके समक्ष रख सकू। </p><p>