"कुसुमदी ", इंगित करती है एक ऐसी महिला की कहानी जो,करुणामयी हैं, ममतामयी हैं, वसुधैव कुटुंबकम की भावना से ओतप्रोत हैं । जो मनुष्य मात्र के लिए संभाव रखेती हैं । "कुसुमदी" का हृदय बहुत ही विशाल है। आज वो धरा से दूर अंबर पर कहीं हैं पर हम सभी के दिल में यादों के रूप में आज भी इस धरा पर विचरण करतीं हैं। कौन कहता है! कि कुसुमदी अब नहीं रहीं, वो आज भी जिंदा है हर अधरों में, हर दिल में व हर आँखों में ।
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