shabd-logo

सफर यादों का

6 अक्टूबर 2020

509 बार देखा गया 509

तेरा धरती से यूँ जाना,

मेरा धरती में रह जाना ।

अखरता है मुझे हर पल,

तेरा मुझसे बिछुड़ जाना ।

मेरी साँसों में तेरा नाम,

मेरी धड़कन में तेरा नाम ।

मेरे ख्वाबों में तू ही तू,

मेरी यादों में तू ही तू ।

कि तुझमें ही समाहित है,

मेरे जीवन का ताना बाना ।

तेरा धरती से यूँ जाना,

मेरा धरती में रह जाना ।

तू अम्बर का है एक तारा ,

मैं धरती का हूँ बंजारा।

चमकती है तू अम्बर में,

भटकता हूँ मैं धरती में ।

तेरी यादें ही अब तो,

मेरे जीवन का सहारा ।

तेरा धरती से यूँ जाना,

मेरा धरती में रह जाना ।

अखरता है मुझे हर पल,

तेरा मुझसे बिछुड़ जाना ।

तेरी यादोँ के साये में,

मेरा जीवन गुजर जायें ।

मेरी तन्हाईयों में मुझको,

तेरा साथ मिल जायें ।

इसी एहसास के साये में ,

स्थित है मेरे जीवन का ,

मेरे जीने ताना बाना ।

सुखद एहसास देती हैं,

मुझको,तेरी मधुर यादें ।

मैं जब-जब देखता हूँ,

चाँद को,तू याद आती है।

मेरे चक्षुओं में, गंगा-यमुना,

परिमल,निर्मल धाराएं,

तब-तब आतीं हैं ।

शिव से मैं शव में परिवर्तित,

हो तब जाता हूँ ।

समाधी में चला जाता,

तेरा ही ध्यान करता हूँ ।

मेरा विश्वास है एक दिन,

सती से बन उमा एकदिन।

तू अम्बर से धरा में आ जाये।

इसी एहसास के साये में,

ये जीवन गुजर जायें ।

तेरा धरती से यूँ जाना।

मेरा धरती में रह जाना ।

अखरता है मुझे हर पल,

तेरा मुझसे बिछुड़ जाना ।

तेरा मुझसे बिछुड़ जाना,

तेरा धरती से यूँ जाना ।

तेरा धरती से यूँ जाना ।

तेरा मुझसे बिछुड़ जाना ।

( समाप्त)





हिमांशु पाठक

ए-36,जज-फार्म,

छोटी मुखानी,

हल्द्वानी-263139

नैनीताल उत्तराखंड

5
रचनाएँ
Kavihimanshupathakpahadi
0.0
मेरा ये पेज ,आप लोगों के लिये ही है जिसके माध्यम से मैं ,साहित्य की विभिन्न विधा के द्वारा मै आप लोगों के साथ जुड़ सकूँ। व समय पर सामाजिक,राजनैतिक व सांस्कृतिक विषयों के कुछ अनसुलझे पहलुओं को छू सकूँ तथा आपके समक्ष रख सकू। धन्यवाद कृते-हिमाँशु पाठक
1

पथिक

3 सितम्बर 2020
0
1
0

(1)वो घर से निकला पीने को, मानो अंतिम पल जीने को।उसे अंतिम सत्य का बोध हुआ। मानो अंतिम घर से मोह हुआ।सोते बच्चों को जी भर देखा, सोती बीबी के गालों को चूमा,माँ-बाप को छूपकर देखा, चुपके सोते चरणों को पूजा।कुछ पैसे

2

कोई रोता है।

13 सितम्बर 2020
0
0
0

क्यों मुझको ऐसा लगता है?, दूर कहीं कोई रोता है।कौन है वो? ,मैं नही जानता, पर मुझको ऐसा लगता है,दूर कोई अपना रोता है। क्योंमुझको ऐसा लगता है?दूर कहीं कोई रोता है। 2पर्वत की हरी-भरी वादियाँ

3

कोई रोता है।

13 सितम्बर 2020
0
0
0

( 1)क्यों? मुझको ऐसा लगता है। दूर कहीं कोई रोता है।कौन है वो? मैं नही जानता। पर,मानो अपना लगता है।कहीं दूर कोई रोता है। मुझसे मेरा मन कहता है। ( 2)अक्सर अपनी तन्हाई में, ध्

4

सफर यादों का

6 अक्टूबर 2020
1
0
2

तेरा धरती से यूँ जाना, मेरा धरती में रह जाना ।अखरता है मुझे हर पल, तेरा मुझसे बिछुड़ जाना ।मेरी साँसों में तेरा नाम, मेरी धड़कन में तेरा नाम ।मेरे ख्वाबों में तू ही तू,

5

यादों की महफिल

7 फरवरी 2021
0
0
0

आओ ना बैठो ना कुछ पल ही सही साथ बिताओ ना । आप हो हम हों,बातों की महफिल हो और ठहाके हो।यादों के फूल खिले हो, और सुगंध से मन प्रफुल्लित हो ।और साथ-साथ गरमागरम चाय हो,आलू के गुटके हो।गुड़ की डली के साथ चाय की चुस्की हो,और संग हो।अपनों की संगति,

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए