तेरा धरती से यूँ जाना,
मेरा धरती में रह जाना ।
अखरता है मुझे हर पल,
तेरा मुझसे बिछुड़ जाना ।
मेरी साँसों में तेरा नाम,
मेरी धड़कन में तेरा नाम ।
मेरे ख्वाबों में तू ही तू,
मेरी यादों में तू ही तू ।
कि तुझमें ही समाहित है,
मेरे जीवन का ताना बाना ।
तेरा धरती से यूँ जाना,
मेरा धरती में रह जाना ।
तू अम्बर का है एक तारा ,
मैं धरती का हूँ बंजारा।
चमकती है तू अम्बर में,
भटकता हूँ मैं धरती में ।
तेरी यादें ही अब तो,
मेरे जीवन का सहारा ।
तेरा धरती से यूँ जाना,
मेरा धरती में रह जाना ।
अखरता है मुझे हर पल,
तेरा मुझसे बिछुड़ जाना ।
तेरी यादोँ के साये में,
मेरा जीवन गुजर जायें ।
मेरी तन्हाईयों में मुझको,
तेरा साथ मिल जायें ।
इसी एहसास के साये में ,
स्थित है मेरे जीवन का ,
मेरे जीने ताना बाना ।
सुखद एहसास देती हैं,
मुझको,तेरी मधुर यादें ।
मैं जब-जब देखता हूँ,
चाँद को,तू याद आती है।
मेरे चक्षुओं में, गंगा-यमुना,
परिमल,निर्मल धाराएं,
तब-तब आतीं हैं ।
शिव से मैं शव में परिवर्तित,
हो तब जाता हूँ ।
समाधी में चला जाता,
तेरा ही ध्यान करता हूँ ।
मेरा विश्वास है एक दिन,
सती से बन उमा एकदिन।
तू अम्बर से धरा में आ जाये।
इसी एहसास के साये में,
ये जीवन गुजर जायें ।
तेरा धरती से यूँ जाना।
मेरा धरती में रह जाना ।
अखरता है मुझे हर पल,
तेरा मुझसे बिछुड़ जाना ।
तेरा मुझसे बिछुड़ जाना,
तेरा धरती से यूँ जाना ।
तेरा धरती से यूँ जाना ।
तेरा मुझसे बिछुड़ जाना ।
( समाप्त)
हिमांशु पाठक
ए-36,जज-फार्म,
छोटी मुखानी,
हल्द्वानी-263139
नैनीताल उत्तराखंड