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हिंदी है जन-जन की

14 सितम्बर 2021

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कविता
हिंदी है जन-जन की
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जन की भाषा 
मन की भाषा 
भाषा बनी वतन की 
हिंदी है जन-जन की। 

अपनी थाती
सबको भाती
भाषा है कण -कण की 
हिंदी है जन-जन की। 

मेल कराती 
प्रीत सिखाती
मैल मिटाती मन की 
हिंदी है जन-जन की। 

हिय से निकली 
प्रतिदिन निखरी 
बोली निर्मल मन की 
हिंदी है जन-जन की। 

(प्राणेश कुमार)

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