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मालिक

8 सितम्बर 2021

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मालिक
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मेरे पीछे  
अठारहवीं सदी की 
कुटनी छोड़ दी गई है 
वह मेरे मालिक के लिए 
जासूसी करती है 
मेरे आने पर 
मेरे जाने पर 
मेरे मिलने पर 
निगाह रखी जाती है 
क्योंकि 
राजनीति की गंदी चाल 
मैं नहीं चलता ।

लिखी जाती है गुप्त डायरी 
मेरे मालिक के कहने पर 
उस डायरी में मेरी ईमानदारी 
दर्ज की जाती है 
क्योंकि ईमानदारी 
आज का सबसे बड़ा ज़ुर्म है ।

मेरा मालिक 
मेरे देश का नेता है 
मेरी तरह वह भी 
जनतांत्रिक अधिकारों का हिमायती है 
मजदूरों की बात करता है 
कविता लिखता है 
लेकिन स्वार्थ के लिए 
सांसो पर प्रतिबंध लगाता है 
गति पर निगाह रखता है 
और शांतिपूर्ण आंदोलनों को भी 
लाठी की जोर से तुड़वा देता है ।

मैं यहीं काम करता हूं 
यहां से मेरे मालिक का 
कुटिल और बदचलन 
चेहरा दिखता है ।
(प्राणेश कुमार)

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