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राम

24 नवम्बर 2021

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राम
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इस युग में भी राम प्रकट हो जाएं तो फिर बात बने
दुर्दिन की गाथा को भी पढ़ पाएं तो फिर बात बने।

कितना बदल गया युग है कितने इसके जन बदल गये
हर जन की पीड़ा को भी हर पाएं तो फिर बात बने।

रोज हरण होती सीता अब रोज यहांँ रावण हंँसता
इनका भी उद्धार अगर कर पाएं तो फिर बात बने।

स्वर्ण मृगों का खेल अभी चलता रहता दिन रात यहांँ
छल -जालों से मुक्त अगर कर जाएं तो फिर बात बने।
 
दानव बन कर आज मनुज ही मनुज रक्त से खेल रहा
आज शांति की सीख अगर दे पाएं तो फिर बात बने।

(प्राणेश कुमार)

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