हे गणपति
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आए हैं गण बिना पति।
हे गणपति उद्धार करो तुम
तुम बिन किसकी कहां गति।
नेता आकर हमें सताते
देते दुख हैं बारंबार
हम जिन पर विश्वास करें वो
झूठ बोलते अपरंपार।
शायद तुम कुछ करो यहां पर
होता अब उत्पात अति।
हे गणपति उद्धार करो तुम
तुम बिन किसकी कहां गति।
(प्राणेश कुमार)