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गीत

22 सितम्बर 2021

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गीत
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अच्छा ही तो हुआ 
तुम्हारा साथ कभी का छूट गया। 

तुम साथी तो नहीं 
मगर तुम पांवों की जंजीर बने
कठिन लड़ाई में भी 
तुम तो दुश्मन के ही तीर बने

अच्छा ही तो हुआ 
तुम्हारा हाथ कभी का छूट गया। 

मैंने समझा तुम अमृत हो 
विष से भरे हुए थे तुम
बाहर से अच्छे लगते थे 
अंदर सड़े हुए थे तुम

अच्छा ही तो हुआ 
हमारा विष का प्याला टूट गया। 

संघर्षों की तुम बाधा थे 
भितरघात ही करते थे
तुम हंँसते थे कुटिल हंँसी 
हम उस पर भी क्यों मरते थे

अच्छा ही तो हुआ 
तुम्हारे साथ तुम्हारा झूठ गया 
अच्छा ही तो हुआ
तुम्हारा साथ कभी का छूट गया। 
(प्राणेश कुमार)

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