हर कोई अपने आप में गुम है अफीमची की तरह,
जैसे पा लिया हो खजाना,खजांची की तरह,
रहता है अपने आप में मस्त भंगेड़ी की तरह,
करता नहीं किसी से बात घमंडी की तरह,
सोचता है खुद को खुदा की तरह,
पता नहीं क्या सोच है उसकी दूसरों के प्रति,
मिल जाता है जीवन में सब कुछ पर प्यार नही मिलता
मिलाते हैं हॉथ सभी पर दिल नहीं मिलता ,
कभी कभी दिल भी मिल जाता है एक दूजे से
पर सच्चा दिलदार नहीं मिलता ।
मिल जाता है जीवन में सबकुछ
पर हर किसी को मुकम्मल जहॉ नहीं मिलता ।